शक्तियों को जागृत करने ईश्वर की आराधना की परम आवश्यकता- शंकराचार्य

भिण्ड।गणेश भारद्वाज।

मनुष्य अपनी छिपी शक्तियों को पहचाने बिना शक्तिशाली नहीं बन सकता। उसी शक्ति को जागृत करने के लिए उपासक लोग ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए साधना करते हैं। मानव-देह में एक चिरन्तन आध्यात्मिक सत्य छिपा हुआ है, जब तक वह मिल नहीं जाता इच्छायें उसे इधर से उधर भटकाती, दुःख के थपेड़े खिलाती रहती हैं। सत्यामृत की प्राप्ति नहीं होती तब तक मनुष्य बार-बार जन्मता और मरता रहता है, न कोई इच्छा तृप्त होती है न आत्मसन्तोष होता है। जबकि मनुष्य की सारी क्रियाशक्ति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उसी की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहती है।


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