भोपाल| भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में शामिल अधिकारियों को केंद्र सरकार बाहर का रास्ता दिखा रही है| इसी क्रम में आयकर विभाग के 21 और अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्ति कर दिया है। भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त इन अधिकारियों सीबीडीटी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। इस सूची में मध्य प्रदेश के भी दो अफसर शामिल हैं|
सर्वे के मामले में करदाता को बचाने के एवज में 9 लाख रुपए मांगने और फिर इसी मामले में जेल जा चुके इनकम टैक्स इंस्पेक्टर अजय विरेह को सीबीडीटी ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। विरेह फिलहाल इंदौर रीजन के उज्जैन कार्यालय में पदस्थ हैं। वहीं भोपाल में पदस्थ इंस्पेक्टर आरसी गुप्ता भी इस सूची में शामिल हैं। उन पर भी अनैतिक मांग का आरोप है। इससे पहले वित्त मंत्रालय सेंट्रल एक्साइज विभाग इंदौर के अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे चुका है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवा नियमावली के नियम 56 (जे) के तहत जनहित में बी समूह के 21आय कर अधिकारियों को भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया है। इस साल जून के बाद से यह पांचवां मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट कर अधिकारियों को नौकरी से निकाला है। इसी के साथ 85 कर अधिकारियों को बाहर किया जा चुका है। इनमें 64 उच्चस्तर के अधिकारी थे। इन उच्चस्तरीय अधिकारियों में 12 सीबीडीटी के थे।