खुशहाल नौनिहाल अभियान: भिक्षावृत्ति कराने वाले गिरोह की अब CID करेगी जांच

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भोपाल| जिन हाथों में खिलौने होने चाहिए, उन हाथों में कटोरा थमा दिया गया। भिक्षावृत्ति के दलदल में उनका बचपन डूबता ही जा रहा है। अमानवीय लोगों का गिरोह मासूम बच्चों को इस दलदल में झोंक रहे हैं| ऐसे ही दलदल से मासूमों को निकालने और भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक अनोखा अभियान भोपाल की संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने चलाया और सफलता भी मिली| कई बच्चों को एक नया जीवन मिला है| संभागायुक्त के निर्देश पर पिछले दिनों भोपाल में बड़ी करवाई करते हुए 44 बच्चों का रेस्क्यू किया, जिन्हे भीख मंगवाने वाले गिरोह की चंगुल से बचाया गया| लेकिन इस बड़ी कार्रवाई के बाद पुलिस की भूमिका बेहद निराशाजनक रही और पुलिस लगातार कहती रही कि ऐसी स्थिति में इन लोगों के खिलाफ कोई मामला ही नहीं बनता। ऐसी स्थिति में संभागायुक्त ने मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी। भिक्षावृत्ति करने वाले हैदराबाद और कानपुर गैंग का केस अब सीआईडी को सौंप दिया गया है। सीआईडी शनिवार से कार्रवाई शुरू करेगी। इसको लेकर शुक्रवार को बैठक हुई। सीआईडी की रिपोर्ट के आधार पर ही सीडब्ल्यूसी आगे की कार्रवाई करेगी। सदस्यों के मुताबिक सीआईडी जांच में यदि बच्चों के डीएनए कराने की जरूरत हुई तो वह भी किया जाएगा।

भोपाल की संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव के निर्देशन में चलाए जा रहे खुशहाल नौनिहाल अभियान ,जिसका मूल उद्देश बच्चों को भिक्षावृति और बाल श्रम की प्रवृत्ति से दूर कर उनके पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था करना है ,के तहत एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। दरअसल कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव ने अक्सर भोपाल में देखा  कि भीख मांगने वालों में उन लोगों की संख्या बङी है जो वेशभूषा और शक्ल से भोपाल के नहीं लगते। साथ ही भीख मांगने वाले वयस्कों के साथ जो बच्चे होते थे वो अक्सर सोए हुए मिलते थे। ऐसी स्थिति में संभागायुक्त ने इन क्षेत्रों में काम करने वाले एनजीओ के साथ समन्वय स्थापित किया और ऐसे भिक्षा मांगने वाले लोगों के खिलाफ गुपचुप स्टिंग ऑपरेशन अभियान चलाया। जब पर्याप्त सबूत हाथ में आ गए तो जहांगीराबाद और अशोका गार्डन क्षेत्र में प्रशासन ,महिला बाल विकास और पुलिस के नेतृत्व में सामूहिक दबिश दी गई और ऐसे 44 बच्चों को बरामद किया गया  इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भूमिका बेहद निराशाजनक रही और पुलिस लगातार कहती रही कि ऐसी स्थिति में इन लोगों के खिलाफ कोई मामला ही नहीं बनता। ऐसी स्थिति में संभागायुक्त ने मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी। फिलहाल महिलाओं और बच्चों को दो अलग-अलग एनजीओ के सुपुर्द महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों की निगरानी में रखा गया है। हालांकि यह महिलाएं इस कदर दबाव बना रही हैं और स्थितिया बिगाड़ने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी मानते हैं कि उनके पास इन लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और ज्यादा सबूत एकत्र किए जा रहे हैं।


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