भोपाल| मध्य प्रदेश में भाजपा को लगातार झटके लग रहे हैं | प्रदेश में कभी पार्टी की जड़ माने जाने वाले नेताओं ने यह आरोप लगाते हुए बगावत कर दी कि यह पार्टी अब पहले जैसी नहीं रही, अब यहां वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं रहा| विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता सरताज सिंह ने चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर भाजपा को झटका दिया था, इसके बाद अब बुंदेलखंड के जाने माने नेता रामकृष्ण कुसमरिया ने कांग्रेस का हाथ थम लिया है| लोकसभा चुनाव से पहले उनका आना कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा|
कुसमरिया के जरिए कांग्रेस भाजपा के गढ़ माने जाने वाले बुंदेलखंड में सेंध लगाने की तैयारी में है। कुसमरिया बुंदेलखंड के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वर्तमान में बुंदेलखंड की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है| लेकिन विधानसभा चुनाव में कुछ हद तक कांग्रेस यहां मजबूत हुई है| यहां की 8 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 3 पर जीत हासिल की। अब कुसमरिया के कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा को नुकसान होने का पूरा अंदेशा है क्योंकि कुसमरिया अकेले नहीं अपने करीब 15 हजार कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। बुंदेलखंड में भाजपा का मजबूत वोटबैंक कुसमरिया के साथ रहा है, जिसके दम पर वह भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़े| हालाँकि उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन भाजपा के लिए उनका यह कदम नुकसानदायक रहा| कुसमरिया ने दमोह और पथरिया सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वे खुद तो दोनों जगह से हार गए लेकिन इन दोनों सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को भी हार का कारण भी बने। जाहिर है कुसमरिया भाजपा के लिए परेशानी बनेंगे। दमोह से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को हार का सामना करना पड़ा। वे चार बार विधानसभा और पांच बार लोकसभा चुनाव जीते। 2008 में विधानसभा चुनाव जीतकर वे कृषि मंत्री बनाए गए थे, लेकिन 2013 में वे चुनाव हार गए थे।