भोपाल। मप्र में समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को गेहूं एवं अन्य फसलों पर बोनस दिया जाता रहा है। ऐसे में अनाज की खरीदी ज्यादा होने पर भारतीय खाद्य निगम अनाज उठाने में आनाकाही करता है। इस बार यह हुआ है कि भविष्य में एफसीआई जरूरत का अनाज ही उठाएगा। समर्थन मूल्य के अतिरिक्त राशि देकर खरीदा गया अनाज एफसीआई नहीं उठाएगा। इसी की साथ राज्य एवं केंद्र के बीच समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे गेहूं को सेंट्रल पूल में लेने का विवाद खत्म हो गया है।
प्रदेश में अभी तक समर्थन मूल्य पर 68 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। केंद्र सरकार की सक्षम समिति ने विशेष प्रकरण में 67.25 मीट्रिक टन गेहूं सेंट्रल पूल में लेने का फैसला किया है। इसके ऊपर जो गेहूं खरीदा जाएगा, उसका पूरा खर्च राज्य को ही उठाना होगा। दरअसल, राज्य सरकार ने जय किसान समृद्धि योजना लागू करके किसानों को प्रति क्विंटल गेहूं पर 160 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी है। इसे मिलाकर किसानों को दो हजार रुपए प्रति क्विंटल दिए जा रहे हैं। इस पर भारतीय खाद्य निगम ने आपत्ति लेते हुए मध्यप्रदेश से सेंट्रल पूल में गेहूं लेने से इनकार कर दिया था।
केंद्र सरकार नहीं देगी प्रोत्साहन राशि
प्रदेश सरकार को लिखे पत्र में यह भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से करार किया है कि वो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली फसल पर किसी प्रकार का बोनस या प्रोत्साहन नहीं देगी। गेहूं पर दिया जा रहा प्रति क्विंटल 160 रुपए इसी श्रेणी में आता है। इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा और पुरानी व्यवस्था का हवाला देने के साथ बताया कि यह बोनस नहीं, बल्कि उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन है।