भोपाल। लोकसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस में हलचल मचा दी है| मोदी की आंधी ऐसी चली कि प्रदेश में सभी दिग्गजों के किले ढह गए| यहां तक कि पांच माह पहले जीत कर आये मंत्री भी अपने क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत नहीं दिला पाए| जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साफ़ शब्दों में अपने अपने क्षेत्रों में चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी| लेकिन कमलनाथ कैबिनेट के 22 मंत्री अपने क्षेत्र में कांग्रेस की लाज नहीं बचा सके और बीजेपी ने यहां भी बढ़त लेकर बड़ी जीत हासिल की| अब पार्टी इस बड़ी पराजय पर मंथन में जुट गई है, इस्तीफों की पेशकश का दौर भी शुरू हो गया है| वहीं कमलनाथ रविवार को विधायक दल की बैठक लेने वाले हैं| इस बैठक में सभी वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी भी शामिल होंगे| परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्रियों पर गाज गिर सकती है|
दरअसल, 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस में गहन मंथन के बाद कैबिनेट का गठन किया गया| इसमें पार्टी के छत्रपों की मनमर्जियां भी चली और सभी को साधते हुए 28 विधायकों को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री बनाया। यह पहली बार था जब सभी को सीधे कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा गया। इसके साथ ही सीएम कमलनाथ ने अपने अपने विभाग और क्षेत्र में परफॉर्मेंस दिखाने के सख्त निर्देश दिए थे| लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सभी मंत्रियों को अपने गृह क्षेत्रों में कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि कोई भी दूसरे क्षेत्र में जाकर काम नहीं करेगा। ज्यादातर मंत्रियों ने इसका पालन भी किया पर यह काम नहीं आया। सिर्फ 6 मंत्री अपने क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त दिला पाए। बाकी 22 की विस सीटों पर कांग्रेस पिछड़ गई। यही हाल विधायकों के मामले में है। विस चुनाव में कांग्रेस के 114 विधायक चुनकर आए। इनमें दीपक सक्सेना ने छिंदवाड़ा सीट सीएम कमलनाथ के लिए छोड़ दी। यहां कमलनाथ 25 हजार से अधिक मतों से जीते हैं। कांग्रेस विधायकों वाली अन्य 113 सीटों में से अधिकतर में भाजपा ने बाजी मारी।