भोपाल| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने ही बयान में फंस गए हैं| चुनाव आयोग पर अमानवीयता के आरोप के बाद विपक्षी दल ने शिवराज पर सवाल उठाये थे, वहीं चुनाव आयोग ने सीएम के आरोपों को नकारते हुए ऐसी किसी स्तिथि से इंकार किया है| जिसके बाद कमलनाथ ने फिर शिवराज को कटघरे में खड़ा किया है|
कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 5 दिसम्बर को केबिनेट बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में चुनाव आयोग को भाजपा के प्रति अमानवीय व प्रताड़ना वाला बताते हुए विदिशा के एक दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता की अंत्येष्टि में जाने से रोकने का मामला बताया था लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण सामने आने के बाद शिवराज सिंह का झूठ सामने आ गया है।उन्होंने झूठ परोसकर चुनाव आयोग पर अमानवीयता व प्रताड़ना के झूठे आरोप लगाये थे।
अब सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर विदिशा के एक भाजपा कार्यकर्ता रघुवीर दांगी के अंतिम संस्कार में जाने के लिए 27 नवंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसने रोका| क्योंकि, निर्वाचन आयोग मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) वीएल कांताराव का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई लिखित आवेदन नहीं मिला कि सीएम को वहां जाना है।
दरअसल, 5 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में कहा था कि कांग्रेस चुनाव आयोग पर सवाल उठाती है, जबकि चुनाव आयोग ने भाजपा पर ज्यादा सख्ती की और प्रताड़ित तक किया। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को मुझे अंतिम संस्कार में विदिशा जाना था, लेकिन आयोग ने अमानवीयता दिखाते हुए मंजूरी नहीं दी। जबकि चुनाव आयोग ने किसी भी तरह की लिखित अनुमति से इंकार किया है|
शिवराज का झूठ सामने आया, माफ़ी माँगे — कमलनाथ
इस पर कमलनाथ ने कहा है कि शिवराज ने झूठ परोसकर सहानुभूति लेने की व गुमराह करने की कोशिश की है। यह तो चुनावी कार्य में लगे हज़ारों ईमानदार – निष्पक्ष कर्मचारियों का अपमान तो है ही , साथ ही उस दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता का भी अपमान है।जिसको लेकर शिवराज ने झूठ बोला। नाथ ने कहा कि चुनाव के दौरान भी भाजपा का कांग्रेस को लेकर झूठ पर आधारित प्रचार था और अभी भी भाजपा का झूठ जारी है। शिवराज सिंह को चुनाव आयोग पर अमानवीयता व प्रताड़ना के आरोप लगाये जाने के बाद सारे मामले स्पष्ट करना चाहिये कि किस आधार पर उन्होंने यह आरोप लगाये और उन्हें इस झूठ के लिये चुनावी कार्य में लगे ईमानदार- निष्पक्ष हज़ारों सरकारी कर्मचारियों से तो माफ़ी माँगना ही चाहिये साथ ही दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से भी माफ़ी माँगना चाहिये , जिसको लेकर उन्होंने झूठ बोला।