भोपाल। कृषि मंत्री सचिन यादव के निर्देश पर चलाए जा रहे शुद्ध के लिए युद्ध अभियान विभाग के लिए कमाई का जरिया बन गया है। कृषि विभाग के अधिकारी खाद-बीज व्यापारियों को धमका कर वसूली कर रहे हैं। भोपाल में कृषि विभाग के संयुक्त संचालक उत्तम सिंह जादौन ने एक व्यापारी की दुकान से सैंपल लिए और नकली खाद-बीज के मामले में फंसाने की धमकी देकर पांच लाख रुपए की मांग की थी। शनिवार को लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस ने जादौन को उनके अरेरा कॉलोनी स्थित निवास के पास कार में दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार किया। इसके बाद उनके भोपाल स्थित निवास तथा इंदौर के घर पर तलाशी अभियान शुरू किया गया है। यही स्थिति अन्य शहरों में है।
यहां बता दें कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान कृषि मंत्री के निर्देश पर चल रहा है। वे खुद इस अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। इस अभियान के तहत अवैध वसूली की शिकायत भी मंत्री तक पहुंंच रही हैं, लेकिन अभी कोई कार्रवाई विभाग ने नहीं की। विभाग सिर्फ कार्रवाई के आंकड़े गिनाने में जुटा है। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में कृषि विभाग नकली खाद-बीज की व्यापारियों के ठिकानों से सैंपल ले रहा है और उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। इसी कड़ी में भोपाल में पदस्थ कृषि विभाग के संयुक्त संचालक उत्तम सिंह जादौन ने अपने अमले के साथ सात दिन पहले नरेला शंकरी क्षेत्र में मानसिंह राजपूत नाम के खाद-बीज व्यापारी की दुकान पर कार्रवाई की थी।
प्रदेश भर में जारी है वसूली
कृषि मंत्री के निर्देश पर चलाए जा रहे शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की आड़ में कृषि विभाग के अफसरों द्वारा प्रदेश भर में वसूली की जा रही है। मंत्री तक इसकी शिकायत पहुंच रही हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई वजाए मंत्री सिर्फ आंकड़े गिनाने में जुटे हैं।
न लैब है, न विशेषज्ञ
कृषि विभाग की कार्रवाई पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि विभाग के पाए ऐसी हाईटेक लैब नहीं है, जो नकली खाद,बीज की जांच कर प्रमाणित कर सकें। साथ ही कृषि विभाग के पास विशेषज्ञों की भी कमी है। अभी तक विभाग ने सिर्फ सैंपल लेने का काम किया है। उन दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की है,जो बिना लाइसेंस के कारोबार कर रहे हैं।
नकली खाद्-बीज का गढ़ है मप्र
मप्र में नकली खाद बीज का कारेाबार लंबे समय से हो रहा है। कई नामी कंपनियों के उत्पादों में गड़बड़ी सामने आ चुकी है, लेकिन कंपनियों दूसरे नाम से प्रोडक्ट बाजार में उतार देती है। खास बात यह है कि गड़बड़ी मिलने पर सरकार प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी केा ब्लैकलिस्ट नहीं करती है, बल्कि प्रोडक्ट को ब्लैक लिस्ट करती है।