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लोकसभा चुनाव में इस बार बुंदेलखंड का मुद्दा गायब, एमपी से अलग नहीं होंगे ये जिले

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भोपाल। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से अलग कर बुंदेलखंड को एक नया राज्य बनाने की मांग लंबे अरसे से की जा रही है। दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलोंं जो बुंदेलखंड में आते हैं वह लगातार पिछड़ रहे हैं। यहां बेरोजगारी से लेकर पानी सबसे बड़ा मुद्दा है लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा गायब है। किसी भी दल में बुंलदेलखंड को लेकर कोई वादा नहीं किया है। बीजेपी और कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। लेकिन दोनों ही दलों के घोषणा पत्र में बुंदेलखंड के बारे में कोई बड़ा ऐलान नहीं किया गया है। उमा भारती ने वादा किया था कि वह बुंदेलखंड के लिए राज्य की पैरवी करेंगी। उन्होंने चुनाव जीता और उनकी पार्टी ने केंद्र में सरकार बनाई। लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया।

बुंदेलखंड का क्षेत्रफल करीब 70 हजार वर्ग किमी है। यहां दो करोड़ जनसँख्या है। इसमें उत्तर प्रदेश के सात जिले आते हैं जबकि मध्य प्रदेश के छह जिले। एमपी के बुंदेलखंड में टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह, पन्ना, सागर और दतिया शामिल है। वहीं, यूपी से बांदा, चित्रकूट, महौबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर आते हैं। सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में दोनों राज्यों में चार लोकसभा और 29 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। प्रमुख राजनीतिक दल बुंदेलखंड राज्य को अलग करने की आवश्यकता के बारे में बात करते हैं लेकिन वे इसे अपने घोषणापत्र में शामिल नहीं करते हैं। 

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