भोपाल। हरियाणा ने अपना फैसला दे दिया है। इस विधानसभा चुनाव में एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो एक दो चैनल को छोड़ के शायद ही किसी चैनल ने अपने सर्वे में दिखाई हो। हरियाणा में एक त्रिशंकु विधानसभा बनती दिख रही है। न सत्ता पक्ष को न ही प्रमुख विपक्षी दल को स्पष्ट बहुमत मिला है। ये अपने आप में एक खबर है पर जो इसमें सबसे बड़ी खबर है वो ये है कि हाल ही में चुनावी राजनीति में पदार्पण करने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी किंगमेकर बन कर उभरी है। पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाने का फैसला लिया है। लेकिन जेजेपी की इस लड़ाई को अंजाम देने में भोपाल की सोशल मीडिया कंपनी का बड़ा अहम किरदार रहा है।
दुनियाभर में अब चुनाव बिना तकनीक और सोशल मीडिया के सहारे के बिना लड़ना मुश्किल है। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया के दम पर ही 2014 में भारत में प्रचंड बहुमत हासिल कर चुनाव जीता था। आज के दौर में चुनाव का प्रारुप पूरी तरह से बदल गया है। गली गली प्रचार के साथ अब यह लड़ाई डिजिटल प्लेटफार्म पर भी लड़ी जाती है। और इसको अंजाम देने में पेशेवर लोगों की मदद राजनैतिक दल लेते रहे हैं। जेजेपी के मामले में भी कुछ ऐसा ही है। जेजेपी के जितना संघर्ष जमीन पर किया है उतना ही सोशल मीडिया पर भी लड़ाई लड़ी गई है। इस पूरे काम को अंजाम दिया है भोपाल की सोशियो कम्युनिकेशन और दिल्ली की चुनाव नीति कंपनी ने। सोशियो कम्युनिकेशन के संस्थापक हैं सुलभ सिंह। जिन्होंने बहुत कम समय में ही आनलाइन चुनाव प्रचार और चुनावी रणनीतियों में महारत हासिल की है।
JJP की इस जीत में प्रमुख भागीदार हैं- सोशियो कम्युनिकेशन एवं चुनाव नीति। इस पार्टी के चुनाव प्रचार और प्रसार की बागडोर इनके हाथो में ही थी। पार्टी और इनमें दो सबसे बड़ी समानताएं है, पहला- दोनों के पास अनुभव की कमी थी और दूसरी कि दोनों ने राजनीति में अपने मजबूत कदम रख के बता दिया कि अनुभव विश्वास और निश्चय से बड़ा नहीं हो सकता। चुनावी समय में सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों की भूमिका बड़ी अहम होती है जिसमें कंटेंट पर निर्धारित होता है कि वह कितने लोगों पर असर डालेगा। इस पूरे चुनावी दौर में बेहतर रणनीति और टीम मैनेजमेंट ने भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
SOCIYO और चुनावनीति ने इस चुनावी रण में एक बेहतरीन तालमेल के साथ युवाओं तक दुष्यंत चौटाला और JJP की सोच को पहुंचाया। SOCIYO कंटेंट के लिए जानी जाती है। इस कंपनी ने इससे पहले मध्यप्रदेश चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई थी। SOCIYO के फाउंडर सुलभ सिंह का कहना है कि आज कोई कहता है डाटा ईज द न्यू ऑयल” पर मेरा मानना है की ” कंटेंट ईज द न्यू ऑयल”। सुलभ सिंह ने बताया है कि प्रचार की रणनीति इस बात के इर्द गिर्द घूमती है कि आप किसी व्यक्ति की सोच को उसके विचारों को कम से कम शब्दों में और ज्यादा से ज्यादा प्रभावी तरीके से कैसे जनमानस तक पंहुचा सकते हैं। अलग सफल चुनावी अभियानों ने ये तो बता दिया कि सोसियो अपने मकसद में कामयाब हुई।
चुनावनीति वो कंपनी है जिसने दुष्यंत चौटाला की चुनावी ज़मीन तैयार करने में बेहद अहम भूमिका निभाई। गांव-गांव, कसब-कसबे दुष्यंत को प्रदेश का भविष्य का नेता बताकर पेश किया और जो एक्सेप्टेन्स दुष्यंत को मिली है उससे यह बात साबित होती है कि चुनावनीति अपने प्रयास में सफल हुई।
चुनावनीति के फाउंडर गजेंद्र शर्मा जिन्होंने दिल्ली और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कई महत्वपूर्ण सत्तासीन हुए दलों के लिए कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारिया निभाई है। गजेंद्र का मानना है कि चुनाव अब एक व्यक्ति विशेष के नाम पर लड़ा जाने लगा है। ऐसे में उस व्यक्ति का हर जगह पहुंच पाना संभव नहीं और ऐसे में हमारी जरुरत पड़ती है। हम ज़मीन पर जा कर उस व्यक्ति की इमेज बिल्डिंग का काम करते है।