सबसे बड़ी जंग, 30 साल में कांग्रेस के हर नुस्खे रहे फेल, क्या इस बार बदलेगा इतिहास?

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भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल इस समय देश भर में सुर्ख़ियों में है| लोकसभा चुनाव को लेकर भोपाल सीट पर सारे देश की नजर टिकी हुई है| क्यूंकि यहां का मुकाबला सबसे रोचक है| बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का चुनाव बन चुका है| भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली भोपाल सीट पर तीस साल से कांग्रेस ने जीत का स्वाद नहीं चखा है,  इस सीट पर कांग्रेस सारे नुस्खे आजमा चुकी है लेकिन जीत नहीं मिली। 

ब्राह्मण, मुस्लिम, कायस्थ, ओबीसी, नवाब, क्रिकेटर, स्थानीय, बाहरी सबको आजमा लिया, पर कोई भी प्रयोग सफल नहीं हुआ। कांग्रेस के के एन प्रधान 1984 में भोपाल से जीतने वाले आखिरी उम्मीदवार थे। हारने वालों की सूची में पूर्व क्रिकेटर नवाब पटौदी, पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज शामिल हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने अपने सबसे वरिष्ठ और चुनावी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा| दिग्विजय के सामने बीजेपी ने भी इस बार अपने सबसे मजबूत गढ़ भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी ने हरसंभव कोशिश की कि साध्वी प्रज्ञा के तमाम विवादित बयानों के बावजूद उन्हे हिन्दुत्व की विचारधारा के ऐसे प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाए जिसे नष्ट और बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह व अन्य नेताओं ने की| भोपाल में चुनाव प्रचार थम चुका है, एक तरफ अनुभवी दिग्विजय हैं, तो दूसरी तरफ पहला चुनाव लड़ रही साध्वी मैदान में हैं| अब मतदाता को तय करना है भोपाल से कौन संसद में कुर्सी संभालेगा|  


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