भोपाल। मध्यप्रदेश में मतदान के बाद अब चुनाव परिणाम का इन्तजार है| इससे पहले ही राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का दवा कर रहे हैं, किसके दावे कितने सच्चे हैं, यह 11 दिसंबर को तय हो जायेगा| कांग्रेस को सरकार के खिलाफ विरोध की लहर का फायदा मिल सकता है, कई ऐसी सीटें कांग्रेस के खाते में आ सकती है, जहां भाजपा मजबूत रही है| वहीं कांग्रेस को सबसे ज्यादा भरोसा मालवा निमाड़ पर है| यही वो क्षेत्र हे जो सरकार बनाने और बिगाड़ने में अहम् भूमिका निभाता है| पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस यहां लगातार कमजोर रही और भाजपा सरकार बनाने में सफल रही, लेकिन इस बार हालात बदले, कांग्रेस भी इन इलाकों में ज्यादा सक्रीय रही| ग्रामीण इलाकों में ज्यादा मतदान ने इस विधानसभा चुनाव में सभी की नींद उड़ा दी है।
मालवा-निमाड़ के 15 जिले विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। इनमें आलीराजपुर, देवास, धार, इंदौर, झाबुआ, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, बड़वानी, खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर शामिल है। बीते कई सालों से मालवा निमाड़ में भाजपा का कब्जा रहा है। यहां की 66 विधानसभा सीटों में से 57 पर पिछले चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें ही हासिल हुईं थी। लेकिन मंदसौर कांड के बाद से भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर ने मुश्किलें बधाई, इसलिए इस बार भाजपा को यहां ख़तरा रहा, वहीं कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक दी| यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ रहा है। मंदसौर में किसान गोलीकांड की बरसी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सरकार बनने पर दस दिन में कर्जमाफ करने के एलान के बाद से किसानों में नाराजगी बढ़ गई थी। जिसे साधने के लिए सरकार ने एक साल में 32 हजार 7 सौ करोड़ रुपए किसानों के खाते में ट्रांसफर किए। राहुल गांधी के मंदसौर दौरे को निष्क्रिय करने के लिए भाजपा ने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा कराई थी। भाजपा का दावा है कि क्षेत्र की आदिवासी सीट और अनुसूचित जाति की सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी एकतरफा जीत रहे हैं। वहीं कांग्रेस को सबसे ज्यादा भरोसा मालवा निमाड़ पर ही है| दोनों पार्टियों में से जो ज्यादा सीटें निकालने में सफल होगा, सत्ता की राह उसकी आसान होगी|