भोपाल।
एमपी के शिक्षकों के लिए बुरी खबर है।प्रदेश की कमलनाथ सरकार शिक्षकों पर शिकंजा कसने जा रही है। दरअसल,शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है। जिसके तहत, जिन स्कूलों के शिक्षको का लगातार तीन वर्षों तक सबसे खराब प्रदर्शन रहा है और दो योग्यता परीक्षाओं में विफल हुए हैं, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने कमेटी का गठन किया है, जो शिक्षकों के कार्यों का आंकलन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।
बुधवार को स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की।चौधरी ने कहा कि राज्य के कई सरकारी स्कूलों में छात्रों का पिछले तीन साल से लगातार बहुत ही खराब प्रदर्शन रहा। इसको देखते हुए मेरे विभाग ने जिन सरकारी स्कूलों में छात्रों ने परीक्षाओं में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया, उन स्कूलों के संबंधित शिक्षकों के लिए एक ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया था और उसके बाद हाल ही में उनकी दक्षता परीक्षाएं ली गई थीं। लेकिन कई शिक्षक इसमें पास नहीं हो पाए।इसके बाद सरकार ने यह तय किया है कि जो शिक्षक दक्षता परीक्षा में असफल हुए हैं और 20 साल की नौकरी या 50 की उम्र पार कर चुके हों, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। लेकिन इससे पहले उन्हें नोटिस दिया जाएगा और उसके बाद जांच की जाएगी। इसके बाद ही उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि शिक्षक दक्षता परीक्षा में तीन बार मौका मिलने के बाद भी एक और मौका दिया गया। इसके बाद भी करीब 100 शिक्षक या तो परीक्षा में फेल हो गए या उन्होंने परीक्षा में भाग नहीं लिया। इसके बाद भी उन्हें बचाने के लिए विभाग ने औसत अंक (पासिंग मार्क) को मार्क को 50 से घटाकर 33 फीसदी कर दिया। इसमें भी 30 शिक्षक दायरे में आ गए। अब इन पर बनी हाई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति और विभागीय जांच का निर्णय लिया गया है। इसमें 20 साल की नौकरी और 50 की उम्र पार कर चुके शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी, जबकि इस दायरे में नहीं आने वाले फेल शिक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई जाएगी। इन्हें जून से लेकर 23 अक्टूबर तक साढ़े 3 हजार शिक्षकों को 3 अवसर दिए थे। किताब से परीक्षा देने के बाद भी पहली बार में 1400 शिक्षक फेल हो गए थे। बाद में विभाग ने उन्हें बचाने के लिए सभी प्रयास किए।