भोपाल/इंदौर।
ठेकेदार से रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस के शिकंजे में आए लोक निर्माण विभाग के ईई (कार्यपालन यंत्री)धर्मेंद्र जायसवाल को विभाग ने भले ही निलंबित कर दिया हो लेकिन उनकी मुश्किलें अब भी कम नही हुई है।खबर है कि जायसवाल की कई शिकायतें मुख्यमंत्री कमलनाथ तक भी पहुंचीं हैं। मदन अग्रवाल ने धर्मेंद्र जायसवाल के भ्रष्टाचार और ठेकेदारों को प्रताडि़त करने की शिकायत सीएम से की है। शिकायत के बाद झाबुआ, थांदला, बुरहानपुर सहित जहां पर भी जायसवाल की पिछले 10 सालों में नियुक्ति रही है, उसकी जांच की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनो में जायसवाल पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
वही लोकायुक्त सहित ईओडब्ल्यू और आयकर विभाग भी जायसवाल के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए जांच में जुट गया है। रिश्वत के अलावा भ्रष्टाचार अधिनियम, आय से अधिक संपत्ति सहित अन्य कई मामलों में गोपनीय जांच भी शुरू हो चुकी है।
बीते हफ्ते तीन लाख की रिश्वत लेते हुआ था गिरफ्तार
दरअसल, बीते दिनों लोकायुक्त पुलिस बड़ी कार्रवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्यपालन यंत्री (ईई) धर्मेंद्र जायसवाल को उसके घर से तीन लाख की रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा था। उसने महू से जुलवानिया के बीच रोड बनाने वाले ठेकेदार मेहरुद्दीन खान से 50 लाख का भुगतान करने के बदले रिश्वत मांगी थी। रिश्वत की राशि लेते ही लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उसे धरदबोचा था। डीएसपी संतोष सिंह भदौरिया को देखते ही वह गश खाकर गिर पड़ा था, जिसके बाद उसे अस्पताल भर्ती करवाया गया था।लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद धर्मेंद्र जायसवाल को लोक निर्माण विभाग ने निलंबित करके सागर अटैच करने के आदेश जारी कर दिया।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
हैरानी की बात तो ये है कि जायसवाल पर पहले भी कार्रवाई की जा चुकी है। 2017 में जब वह खरगोन में कार्यरत थे। उस समय तत्कालीन प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल दौरे पर पहुंचे थे। जायसवाल की निगरानी में जो सड़क बनी था उसकी क्वालिटी बहुत घटिया थी। इससे अग्रवाल नाराज हो गए और उन्होंने जायसवाल सहित दो अन्य पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक करोड़ 24 लाख रुपए की रिकवरी निकाल दी थी। अभी तक इसकी जांच चल रही है। पीडब्ल्यूडी ने इतनी बड़ी गड़बड़ी करने के बावजूद जायसवाल की पदोन्नति करके उन्हें एसडीओ बनाकर बड़े जिलों का चार्ज दे दिया था।इसकी भी शिकायत सीएम के पास पहुंची है।
चार महीने पहले ही हुआ था ट्रांसफर
जायसवाल महज चार महीने पहले ही झाबुआ से इंदौर आया था। विभागीय कर्मचारी बताते हैं कि आते ही उसने ठेकेदारों तक संदेश पहुंचाना शुरू कर दिया कि हर काम में उसकी हिस्सेदारी कमीशन के रूप में रहेगी। वह बिना कमीशन भुगतान नहीं करता था। चार महीने में ही उसकी कई गोपनीय शिकायत चीफ इंजीनियर और प्रमुख सचिव तक पहुंचीं। जायसवाल का व्यवहार अधीनस्थों के साथ भी ठीक नहीं था। झाबुआ में कर्मचारियों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया था।