भोपाल। विधानसभा का मानसून सत्र अगले महीने 17 दिसंबर से शुरू होने जा रह है। सात दिवसीय सत्र में कुल पांच बैठकें होंगी। जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर सत्रावधि बढ़ाने की मांग की है। जिसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री डॉ गोविंद सिंह ने पत्र लिखकर कहा है कि भाजपा शासन काल में ही विधानसभा का अल्पावधि सत्र बुलाने की परंपरा शुरू की थी। सिंह ने भाजपा शासन काल के 10 साल के सत्रों का ब्यौरा दिया है,जिनमें 2 बैठकें तक हुई हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाए हैं कि सरकार जनहित के मुद्दों पर चर्चा कराने से भागना चाहती है, इसलिए सत्र की अवधि कम की गई है। भार्गव के अनुसार प्रदेश में किसान परेशान है। किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिला है। अतिवृष्टि से किसानों को नुकसान हुआ है, लेकिन अभी तक किसानों को राहत नहीं मिली है। इन मुद्दों को सदन में उठाया जाएगा, लेकिन सरकार ने सत्रावधिक कम की है, जिससे लोकमहत्व के विषयों पर चर्चा नहीं कराना चाहती है। संसदीय कार्यमंत्री डॉ सिंह ने भार्गव को लिखे पत्र में कहा है कि विधानसभा के अल्पावधि सत्र बुलाने की परंपरा बाहरवीं, तेेहरवीं और चौदहवीं विधानसभा में भाजपा शासन काल के समय शुरू की गई थी। उस समय विपक्षी दल कांगे्रस ने सत्रावधिक बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उस समय लोकमहत्व के कई विषयों को उठाया गया था, लेकिन सरकारी कामकाज निपटने के बाद सरकार ने चर्चा तक नहीं कराई। लोक महत्व के विषय पटल पर रखे गए थे, चर्चा प्रतिवेदनों पर भी चर्चा से पीछे हट जाती थी। विपक्ष की मांग को नजरअंदाज कर दिया था जाता था। संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि पंद्रहवी विधानसभा की पिछली तीन बैठकों का समय बढ़ाकर लोक महत्व के विषयों पर चर्चा कराई गई थी।
जरूरत पड़ी, देर रात तक चलाएंगे सदन
गोविंद सिंह ने पत्र में कहा है कि विपक्ष ने नियम 139 के तहत लोकमहत्व के विषय पर कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री भी लोकमहत्व के विषय पर चर्चा कराने के लिए सहमत हैं और जरूरत होने पर देर रात तक सदन चलाएंगे। सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासनकाल में सत्र अवधि निर्धारण करने के लिए कभी भी नेता प्रतिपक्ष से सहमति नहीं ली गई। इसकी पुष्टि तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं संसदीय कार्यमंत्री से कर सकते हैं। सिंह ने नेता प्रतिपक्ष को पत्र के माध्यम से आश्वस्त किया है कि आगामी सत्र आपके सहयोग से चलाया जाएगा और लोकमहत्व के विषयों पर चर्चा भी कराई जाएगी।
ये रहे अल्पावधि के सत्र
दिसंबर 2003 में 4 बैठक, नवंबर-दिसंबर 2004 में 7 बैठक, दिसंबर 2006 में 6 बैठक, नवंबर 2007 में 3 बैठक, जुलाई 2008 में 3 बैठक, जनवरी 2009 में 5 बैठक, मार्च 2009 में 3 बैठक, मई 2010 में 4 बैठक, नवंबर 2010 में 4 बैठक, जुलाई 2012 में 3 बैठक, जुलाई 2013 में 4 बैठक, मार्च 2014 में 3 बैठक, दिसंबर 2014 में 5 बैठक, जुलाई 2015 में 3 बैठक, दिसंबर 2016 में 5 बैठक, दिसंबर 2017 में 6 बैठक और जून 2018 में सिर्फ 2 बैठक हुईं।