मप्र में यूरिया पर फिर सियासत, संकट में किसान

भोपाल। प्रदेश में सत्ता बदलते ही यूरिया खाद का संकट गहराने लगा है। कांग्रेस सरकार आते ही पिछले साल भी यूरिया संकट के हालात बने थे। इस बार फिर किसान यूरिया के लिए सड़क पर लाइन में लगने को मजबूर है। फिलहाल इस समस्या का राज्य सरकार के पास कोई समाधान नहीं दिख रहा है, लेकिन यूरिया को लेकर सियासत शुरू हो गई है। भाजपा ने सरकार पर किसाना विरोधी होने के गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं कांगे्रस ने केंद्र सरकार पर यूरिया कोटे में कटौती करने और यूरिया की सप्लाई में देरी के आरोप लगाए हैं। 

रबी फसल के लिए यूरिया की मांग शुरू हो गई है। हालांकि पिछले साल की अपेक्षा मप्र को अभी तक यूरिया का ज्यादा मात्रा में स्टॉक मिल गया है, इसके बावजूद भी यूरिया की कमी बताई जा रही है। यदि यूरिया आपूर्ति का यही हाल रहा तो दिसंबर और जनवरी में किसान यूरिया के लिए सड़क पर उतरकर आंदोलन कर सकता है। हालातों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से दिसंबर के लिए 2.49 लाख मीट्रिक टन यूरिया का अतिरिक्त कोटा मांग लिया है। 


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