भोपाल। सरकार द्वारा प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ‘राइट-टू-वाटर’ एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। विधानसभा के आगामी बजट सत्र में यह एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा। इस सम्बन्ध में जानकारी पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने प्रेस वार्ता में दी| पीएचई मंत्री ने अपने विभाग के एक साल के कार्यकाल का लेखा जोखा जनता के सामने पेश किया।
कांग्रेस कार्यालय में PHE मंत्री सुखदेव पांसे ने मीडिया से चर्चा में कहा भारतीय संस्कृति में पानी का सबसे ज्यादा महत्व है| कमलनाथ सरकार पानी का महत्व समझते हुए आनेवाले समय मे जल समस्याओं से निपटने के लिए प्रयास कर रही है। सरकार संभलते ही हमने पानी की चिंता की| 15 साल में केवल 12% सप्लाई नल के माध्यम से की जा रही थी, पाइपलाइन, हेण्डपम्प, सब खराब थे और केवल भाषणबाजी होती थी। सीएम कमलनाथ ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी की समस्याओं को दूर करने का काम किया। जब विभाग संभाला तो हर जिले में विभाग पर कर्ज था, सरकार से बजट लेकर काम किया और व्यवस्थाओं को ठीक किया। योजनाओं के क्रियान्वन पर ध्यान दिया।
हर घर जल पहुँचाने के लिये 68 हजार करोड़ रूपये योजना
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में हर घर नल से जल पहुँचाने के लिये योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने एमपी सरकार राइट टू वाटर लेकर आ रही है। 68 हजार करोड़ रुपये की योजना बनाई ताकि पानी की कमी न रहे, इसके अंतर्गत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। बांधों में पेयजल का कोटा बनाया जाएगा, हर घर मे नल के माध्यम से पयजल पहुंचाया जाएगा। विभिन्न जिलों में नल जल योजना की डीपीआर तैयार कर ली गयी है। आईआईटी दिल्ली के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए टाई अप किया है। इन सभी योजनाओं के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक से 4500 करोड़ की सहायता विभाग की योजनाओं के लिए मिली है। जायका के माध्यम से झाबुआ और नीमच जिलों में काम होगा, नबार्ड बैंक से भी सहायता ली जा रही है। 2019 में 6 हजार ज्यादा हैंडपम्प लगाए गए, 600 नल जल योजना से पानी की व्यवस्था की, 3 हजार बन्द नल योजना को चालू किया, अभियान चलाकर लाखों बन्द हेण्डपम्प दोबारा शुरू किए गए।
‘राइट-टू-वाटर’ एक्ट का ड्राफ्ट तैयार
प्रदेशवासियों को पानी का अधिकार दिलाने के लिये विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में ‘राइट-टू-वाटर’ एक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। विधानसभा के आगामी बजट सत्र में यह एक्ट पारित करवाकर लागू कर दिया जाएगा। श्री पांसे ने कहा कि इस एक्ट के लागू होने पर मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहाँ लोगों को पानी का कानूनी अधिकार मिलेगा। उन्होंने बताया कि पानी का अधिकार कानून लागू करने के लिये बजट में एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।
केंद्र पर साधा निशाना
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा केंद्र की बीजेपी सरकार केवल योजनाओं का नाम बदलती है जिससे कुछ नहीं होता। चालू योजनाओं का पैसा भी केंद्र रोक रही है, एमपी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सीएम कमलनाथ ने खाली खजाना मिलने के बावजूद इतने बजट का प्रवधान किया और दिया भी। देश मे पहली बार राइट टू वाटर एमपी में दिया जाएगा, इसके लिए ड्राफ्ट भी तैयार हो रहा है। बजट में इस कानून के लिए 1 हजार करोड़ का प्रारंभिक प्रवधान भी कर दिया गया है। कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण भी सरकार ने किया, संविदा कर्मियों को सुविधा देने म्यूचअल ट्रांसफर देने की व्यवस्था की।
12 फीसदी आबादी को ही पेयजल मिलता था
मंत्री श्री पांसे ने कहा कि प्रदेश में 5 करोड़ 88 लाख आबादी 1 लाख 28 हजार 231 ग्रामीण बसाहटों में निवास करती है। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में इन क्षेत्रों में मात्र 12 फीसदी आबादी को ही पेयजल प्रदाय किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि इस भीषण स्थिति से ग्रामीणों को उबारने के लिये राज्य सरकार ने प्रत्येक परिवार को उसकी आवश्यकता के अनुरूप जल उपलब्ध करवाने का निश्चय किया है। पानी का कानूनी अधिकार इसी निश्चय का परिणाम है।