भोपाल। प्रदेश में बाघों के सुरक्षित विचरण और मानव-प्राणी द्वंद को रोकने के लिये नये अभयारण्य बनाए जा रहे हैं। धार, बुरहानपुर, हरदा, इंदौर, नरसिंहपुर, सागर, सीहोर, श्योपुर, मंडला और ओंकारेश्वर में अभयारण्य विकसित होने से बाघों के लिए एक सुरक्षित कॉरिडोर बन सकेगा। वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस संंबंध में जल्द प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
ये अभयारण्य दो जंगलों के बीच ऐसे स्थान पर विकसित किए जाएंगे, जहां हरियाली और गांव नहीं हैं और जैव-विविधता विकास की संभावनाएं हैं। हरियाली बढऩे से भू-जल में वृद्धि होगी और इलाका भी उपजाऊ बनेगा। वन विभाग द्वारा पिछले एक वर्ष के दौरान किए गये प्रयासों से वन और वन्य-प्राणी के संरक्षण और संवर्धन को सफलता मिली है। भारतीय बाघ गणना-2018 में मध्यप्रदेश को 526 बाघों के साथ देश में पहला स्थान मिला है, जो प्रदेश के लिये गौरव की बात है। इस उपलब्धि में पन्ना का विशेष योगदान है, जहां वर्ष 2009 में बाघ रिहैबिलिटेशन के प्रयासों के बाद लगभग 50 बाघ हैं। ओंकारेश्वर में एक नये राष्ट्रीय उद्यान के साथ रातापानी और फेन अभयारण्यों को टाइगर रिजर्व घोषित कराने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
तीन नेशनल पार्कों को मिला पहला नंबर
केंद्र शासन द्वारा राष्ट्रीय उद्यानों के प्रबंधन मूल्यांकन में प्रदेश के 3 राष्ट्रीय उद्यान पेंच, कान्हा और सतपुड़ा को पहला स्थान मिला है। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने भी एक मार्च, 2019 को पर्यटन स्थलों पर उपलब्ध सुविधाओं एवं सेवाओं के लिये सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को मोस्ट टूरिस्ट फ्रेण्डली नेशनल पार्क/सेंचुरी अवार्ड से नवाजा है।
प्रदेश में बढ़ रहा है गिद्धों का कुनबा
पूरे प्रदेश में 12 जनवरी, 2019 को गिद्ध गणना हुई। गणना में विलुप्त होती इस प्रजाति की बढ़ोत्तरी के प्रमाण वन्य-प्राणी जगत में खुशखबरी लेकर आये। इस गणना में प्रदेश के 33 जिलों में 1,275 जगहों पर 7 हजार 900 गिद्ध पाये गये। इसके पूर्व वर्ष 2016 में की गई गणना में 900 स्थानों पर करीब 7 हजार गिद्ध मिले थे।