भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मौजूदा कार्यकाल की बुधवार को आखिरी बैठक करने जा रहे हैं। सभी मंत्रियों को दो दिन पहले दूरभाष के जरिए बैठक की सूचना दी गई थी। खास बात यह है कि मंत्रियों की बैठक में किसी भी विभाग के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगेगी। सिर्फ जन सामान्य से जुड़े विषयों पर सामान्य चर्चा होगी। इस दौरान चुनिंदा अफसर ही मौजूद रहेंगे।
आमतौर पर कैबिनेट बैठक में विभागों की ओर से प्रस्ताव भेजे जाते हैं। जिन पर कैबिनेट में चर्चा होती है। प्रस्ताव विभाग प्रमुखों की ओर से मुख्य सचिव के माध्यम से कैबिनेट में प्रस्तुत किए जाते हैं, लेकिन बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक के संबंध में मुख्य सचिव कार्यालय को अधिकृत तौर पर कोई सूचना तक नहीं है। मुख्यमंत्री सचिवालय सूत्रों ने बताया कि शनिवार को सभी मंत्रियों को मंत्रिमंडल की बैठक के संबंध में सूचना जारी कर दी है। बैठक मंत्रालय में बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे से होना प्रस्तावित है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री मंत्रियों से राज्य के सामान्य हालातों पर चर्चा करेंगे। जिसमें फसल खरीदी, बीमारियां शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मौजूदा कार्यकाल में मंत्रियों के साथ आखिरी बैठक करने जा रहे हैं। क्योंकि 11 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में नईसरकार का गठन होना है।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
कांग्रेस ने आचार संहिता में कैबिनेट बैठक बुलाने को लेकर आपत्ति उठाई है। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश में मतदान हो चुका है। आचार संहिता पहले से लागू है ऐसे में सरकार सिर्फ कार्यवाहक सरकार है। इसके पास किसी भी तरह की बैठक बुलाने और निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। अगर ऐसा किया जा रहा है तो यह सीधे तौर पर सत्ता का दुरुपयोग है। कांग्रेस ने इलेक्शन कमिशऩ को सीएम के मंत्रालय जाने को लेकर भी शिकायत की है। इस पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सामान्य प्रशासन विभाग से प्रतिवेदन मांगा था, जिसमें कहा गया कि सरकार को बैठक बुलाने का अधिकार है, लेकिन वह कोई नीतीगत फैसले नही ले सकती ।
कैबिनेट की जानकारी नहीं
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने कहा कि आयोग को अभी तक कैबिनेट के संंबंध में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि बैठक में कोई लोकलुभावने फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। बैठक पर आयोग की कोई रोक नहीं है। वही आयोग की इजाजत के बिना कैबिनेट कोई नीतिगत फैसला नहीं ले सकती है और अगर ऐसा होता है तो वो आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे मे आएगा ।
आचार संहिता तक आयोग की बिना सहमति से नहीं लौटेंगे अफसर
वीएल काताराव ने कहा कि आयोग द्वारा जो अधिकारी हटाए थे, उन्हें आचार संहिता प्रभावी होने तक शासन बिना आयोग की अनुमति के पदस्थ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि शासन ने कुछ अधिकारियों की पदस्थापना की अनुमति चाही है, जिसे आयोग को भेज दिया है।