‘कठिन सीट’ के फॉर्मूले के दायरे में आएंगे राजा के बाद महाराजा!

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भोपाल। लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस में जबर्दस्त खींचतान मची है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के कठिन सीटों पर बड़े नेताओं के चुनाव लडऩे के बयान के बाद कांग्रेस के कई नेताओं की सीट बदलने की चर्चा है। अब दिग्विजय भोपाल लोकसभा से चुनाव मैदान में उतर रहे तो फिर सिंधिया की भी सीट बदली जा सकती है।  जिसके बाद अब सिंधिया पर भी सीट बदलने का दबाव बढ़ सकता है| कठिन सीटों पर बड़े नेताओं को उतारने की चर्चा तेज हो गई। 1984 के बाद भोपाल, इंदौर, विदिशा, दमोह और भिंड लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने अब तक जीत हासिल नहीं की है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके क्षेत्रों को छोड़कर ऐसी सीटों पर उतारे जाने की रणनीति पर पार्टी चर्चा कर रही है।

दरअसल, विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस हर हाल में लोकसभा चुनाव में भी अपना प्रदर्शन अच्छा करनी चाहती है। इसलिए पार्टी हर सीट पर प्रत्याशियों के लिए मंथन कर रही है। लेकिन पार्टी का असल फोकस प्रदेश के चारों बड़े शहरों पर है। यह सीटें सालों से भाजपा का गढ़ हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर सीट बीजेपी का दुर्ग बन चुकी हैं। कांग्रेस इस बार इन सभी सीटों गधों में सेंध लगाने की फिराक में है। दिग्विजय को भोपाल से चुनाव लड़ाया जा रहा  है| अब सबकी नजर सिंधिया पर है कि आखिर पार्टी सिंधिया को कहां से लड़ाएगी| प्रदेश की राजनीति में राजा-महाराजा के बीच राजनीतिक विवाद किसी से छिपा नहीं है। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि दिग्विजय को कठिन सीट से उतारा जा रहा है तो अब कांग्रेस का दूसरा गुट सिंधिया को भी कठिन सीट से उतारने की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में सिंधिया को गुना संसदीय सीट छोड़कर अन्य सीट से चुनाव लडऩा पड़ सकता है। सिंधिया के ग्वालियर से भी चुनाव लडऩे की अटकलें है। कमलनाथ चाहते हैं दिग्विजय सिंह और सिंधिया प्रदेश में अधिक समय दें जिससे कांग्रेस को मजबूती मिले। यही कारण भी है सिंधिया यूपी की जिम्मेजारी के साथ प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी रणनीति को लेकर बैठक कर रहे हैं। 


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