चुनाव निपटते ही मप्र में सियासी हलचल तेज, आमने सामने भाजपा-कांग्रेस

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भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव बीतते ही विपक्ष कमलनाथ सरकार की घेराबंदी में जुट गया है। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपाई प्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने का दावा कर रहे थे। आखिरी चरण के मतदान के तत्काल बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने जिस तत्परता के साथ राज्यपाल को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग की है और सरकार के सामने बहुमत साबित करने की मांग रखी है, उससे लगता है कि मानसून सत्र के दौरान प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ सकती है। हालांकि दोनों दल यह दावा कर रहे हैं कि एक-दूसरे के विधायक उनके संपर्क में है। 

प्रदेश में विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। संख्या बल के आधार पर भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया, हालांकि मैदान छोडऩे से पहले भाजपा में कई दौर की बैठक हुई। चूंकि निकट भविष्य में लोकसभा चुनाव होना था, इसलिए भाजपा ने मप्र में सरकार बनाने के लिए गोवा, मणिपुर एवं मिजोरम का फंडा उपयोग नहीं किया। भाजपा ने हार स्वीकर करते हुए संख्या बल के आधार पर कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका दिया था। लेकिन लोकसभा चुनाव के चुनाव प्रचार के बीच भाजपा ने यह प्रचारित करना शुरू कर दिया कि चुनाव बाद मप्र में कांग्रेस सरकार गिर जाएगी। भाजपा फिर से सरकार बनाएगी। भाजपा नेताओं की ओर से बीच-बीच में यह बयान आते रहे हैं कि कांग्रेस के असंतुष्ठ विधायक भाजपा के संपर्क में है। भाजपा सूत्र बताते है कि पिछले पांच महीने में भाजपा ने कांग्रेस के कई विधायकों से संपर्क साधा है। दो महीने पहले कांग्रेस के एक विधायक ने पार्टी अध्यक्ष को बाकायदा इस्तीफा दिया था, बाद में उसे किसी तरह मनाया गया था। 


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