भोपाल। राजधानी के पुराने इलाके में स्थित घाटी भड़भूंजा की चमेली वाली मस्जिद में बरसों पहले एक तब्लीगी जोड़ हुआ। गिनती के लोगों के साथ मौलाना मिस्कीन साहब की कयादत में यह शुरूआत हुई। इसके अगले बरस लोगों की तादाद में इजाफा हुआ तो मस्जिद शकूर खां (अब तब्लीगी जमात का मरकज) में वर्ष 1947 में महज तेरह लोगों के जुड़ाव के साथ इज्तिमा की शुरुआत हुई। उस समय ताजुल मसाजिद का निर्माण काम चल रहा था। ताजुल के मुकम्मल होने के बाद अगले वर्ष इज्तिमा यहाँ शिफ्ट हुआ और बरसों तक अपनी रुहानियत फैलाने का काम जारी रखा। जब यहाँ आने वालों की तादाद लाखों में पहुँच गई और मजमा ताजुल में समाने लायक नहीं रही तो वर्ष 2002 में इस मजलिस को ईंटखेड़ी ले जाया गया। अब यहाँ पहुँचने वालों की तादाद तेरह लाख पार कर चुकी है।
शुक्रवार से शुरू होने वाले आलमी तब्लीगी इज्तिमा में इस साल पहुंचने वालों की तादाद पन्द्रह लाख से ज्यादा उम्मीद की जा रही है। सैकड़ों एकड़ ज्यादा जगह में जमातियों के ठहरने के इंतेजाम किए गए हैं। जबकि पार्किंग के लिए 250 एकड़ से ज्यादा जगह में करीब 50 जोन बनाए गए हैं। रियायती दरों पर खानपान के इंतजाम भी यहां होंगे। शुक्रवार से शुरू होने वाले इज्तिमा के लिए जमातों का आना कई दिनों पहले से शुरू हो चुका है। यह फिलहाल शहर की विभिन्न मस्जिदों में कयाम किए हुए हैं। गुरूवार से इनका इज्तिमागाह पहुंचना शुरू हो जाएगा। जमातियों के इस्तकबाल के लिए रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित कई स्थानों पर कैम्प लगाए गए हैं।
दुनिया का तीसरा बड़ा समागम
भोपाल में होने वाला आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया का तीसरा बड़ा धार्मिक समागम है। भोपाल के अलावा बंगलादेश और पाकिस्तान में भी इज्तिमा का आयोजन किया जाता है।
पाक पर पाबंदी
पिछले कई सालों से इंतेजामिया कमेटी ने पाकिस्तान की शिरकत पर पाबंदी लगा रखी है। दोनों देशों के बीच बिगड़े रिश्तों के बाद से यहाँ पाकिस्तानी जमातों की आमद नहीं हो रही है। पिछले साल बंगलादेश सहित कई मुल्कों की जमाते भी यहाँ नहीं पहुंच पाई थीं। इसकी वजह वीजा समेत कई परेशानियां बताई गई थीं।
अकील ने संभाला मोर्चा
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आरिफ अकील ने इज्तिमा व्यवस्था को लेकर मोर्चा संभाल रखा है। बारंबार बैठकों के दौर के बीच वे अधिकारियों को समय पूर्व व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने के निर्देश दे रहे हैं। साथ ही लगभग हरदिन वे इज्तिमागाह पहुंचकर तैयारियों का जायजा भी ले रहे हैं। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव, डीआईजी इरशाद वली, कलेक्टर तरुण पिथोड़े, निगमायुक्त बी विजय दत्ता ने भी अपने तौर पर व्यवस्थाओं मेंं कसावट बनाए रखने की जिम्मेदारी संभाल रखी है।
15 बरस एक साल का लक्ष्य लिया सीएम ने
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ 24 नवंबर की शाम इज्तिमा में शामिल होने आए उलेमाओं से शिरकत करने के लिए पहुंचेंगे। हालांकि उनका अधिकृत कार्यक्रम फिलहाल तय नहीं हुआ है। हालांकि कमलनाथ लगातार बैठकों के जरिये इज्तिमा व्यवस्था को पिछले 15 बरसों से बेहतर बनाने के लिए निर्देशित कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे इस इज्तिमा को यादगार और अब तक का श्रेष्ठ आयोजन करार देने की मंशा के साथ तैयारियां करवा रहे हैं।
महापौर की इज्तिमा से बेरुखी
इज्तिमागाह पर जारी विभिन्न कामों में नगर निगम पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दे रहा है। बावजूद इसके शहर के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले महापौर ने अब तक इज्तिमागाह का रुख नहीं किया है। पिछली भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता और इज्तिमा के लिए विशेष लगाव के चलते महापौर भी लगातार इज्तिमागाह पर जाते रहे हैं, लेकिन इस बरस उन्होंने यहां के सभी कामों से दूरी बनाए रखी है। उनकी इज्तिमा आयोजन से दूरी बनाए जाने को सरकार बदलने के बाद बदले निजाम से भी जोड़ा जा रहा है, साथ ही उनके और निगमायुक्त के बीच चल रही खींचतान का नतीजा भी माना जा रहा है।
यह हैं इंतेजाम
-बैठक पांडाल 70 एकड़ से ज्याद में
-पार्किंग इंतजाम 250 एकड़ में
-पानी के लिए 55 ट्यूबवेल, 500 टंकियां
-वुजु के लिए 18 हजार नल
-खाने के लिए 45 फूड जोन
-नाश्ते के लिए 20 नाश्ता जोन
-सुरक्षा में तैनात एक हजार पुलिस जवान
-इंतजाम के लिए 10 हजार वालेंटियर्स