सरकार गिरने की अटकलों से नौकरशाह भी बेचैन, कुर्सी पर खतरे के बादल!

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भोपाल। मध्य प्रदेश में 11 दिसंबर 2018 को 15 साल से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी का बड़ा झटका लगा था। अबकी बार 200 पार का नारा देने वाली पार्टी बहुमत का आंकड़ा छूने से कुछ सीटें दूर रह गई और सियासी उठापठक कर कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई। 17 दिसंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लि�� कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने शपर ग्रहण की। कांग्रेस की सरकार के अस्तित्व में आने के बाद से ही बीजेपी इसे लंगड़ी सरकार बताकर निशाना साधती रही है। लगातार बीजेपी नेताओं की ओर से इस बात पुख्ता दाे किए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र  में अगर मोदी सरकार आती है तो एमपी में सत्ता पलट होना मुमकिन है। अब ये जुमला सरकार विभागों में भी काफी प्रचलित हो गया है। नौकरशाहों में भी फाइल को आगे बढ़ाने में संकोच और बेचैनी बनी हुई है कि अब क्या होगा।  चौहान के राज में लंबे समय तक काम कर चुके एक वरिष्ठ नौकरशाह कहते हैं, ‘पूरी सरकार डर में चल रही है कि मोदी के दोबारा सत्ता में आने पर बीजेपी विधायकों को तोड़ ना ले.’ ‘नौकरशाहों समेत एक बड़े वर्ग के लोगों के बीच बेचैनी का भाव साफ है. हमने देश में देखा है कि जहां भी दो अलग पार्टियां राज्य और केंद्र में शासन करती हैं, इस बात की कोशिश हमेशा होती है कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी को हटाया जाए.’

दरअसल, बीजेपी के साथ ही कांग्रेस को भी जनता ने पूरा मैनडेट नहीं दिया। कांग्रेस 114 सीटों पर आकर रुक गई जबकि बहुमत का आंकड़ा 116 है। ऐसे में सपा और बसपा की मदद से सरकार का गठन किया गया। लेकिन अब लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे होने के बाद प्रदेश की सियासत के समीकरण बिगड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने वाली बसपा लगातार समर्थन वापस लेने के संकेत दे रही हैं साथ ही वह धमकी भी दे रही हैं। 


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