भोपाल। महाराष्ट्र में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मध्यप्रदेश से भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं है। सोशल मीडिया पर पूर्व केंद्रयी मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने प्रोफाइल पर स्टेटस बदलने को लेकर हंगामा मच गया। दिन भर इस बात का सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि सिंधिया ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी को भी सियासी रोटी सेंकने का मौका मिल गया। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि हमारी पार्टी हमेशा से ही पार्टी में आने वालों का स्वागत करती है। उनके इस बयान से राजनीतिक पारा और चढ़ गया।
उन्होंने कहा कि, सिंधिया का आचरण और व्यवहार ठीक नहीं है। उन्हें पिता की तरह आचरण करना चाहिए। बीजेपी में शामिल होने को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैसे तो यह संभव नहीं है लेकिन हम बीजेपी में सबका स्वागत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया एक राजघराने के व्यक्ति हैं और वे अपने नियम-कायदों के मुताबिक रहते हैं। सामान्य तौर से समाज में कार्य करते हैं, राजघराने के व्यक्ति है। उनके बारे में उनके काम करने का अपना अलग तरीका है। मीडिया के उनके भाजपा में जाने के सवाल पर कुलस्ते ने कहा कि भाजपा में आने के लिए रास्ते हमेशा से ही खुले हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर हैंडल पर बायो बदल दिया है। उन्होंने अब अपने ट्विटर हैंडल के बायो में खुद को समाजसेवी और क्रिकेट समर्थक लिखा है। इसके पहले उनके ट्विटर पर पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री लिखा था। हालांकि इस मामले में सिंधिया ने एनआई से कहा है कि उन्होंने अपना बायो छोटा किया है। उन्होंने इस संबंध में राजनीतिक कयासों को आधारहीन बताया है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि सिंधिया को लगातार पार्टी में किनारे किया जा रहा है। पहले उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। फिर प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी उनका नाम उछला लेकिन वह फैसला भी राजनीति की भेंट चढ़ गया। लोकसभा में मिली हार के बाद सोनिया गांधी ने दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष के चयन के लिए एक बैठक बुलाई थी। सिंधिया के समर्थकों ने प्रदेश भर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया था और सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की थी। वहीं, अन्य धड़ों के समर्थकों ने भी अपने अपने नेताओं को पीसीसी चीफ बनाने के लिए आवाज़ बुलंद की। पार्टी में बिखराव होता देख आलाकमान ने पीसीसी चीफ का फैसाल एक बार फिर टाल दिया। और इस बार भी सिंधिया को प्रदेश की कमान नहीं मिली। तभी से सिंधिया के मिज़ाद बदले बदले नज़र आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से इस बात की भी चर्चा ज़ोरों पर थी कि सिंधिया को अगर कमान नहीं मिलती है तो वह कांग्रेस के विकल्प पर भी विचार करेंगे।