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MP: तंग गलियों में कोचिंग संस्थानों का मकड़जाल, फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंचेगी

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भोपाल। राजधानी समेत प्रदेश में कोचिंग का धंधा खूब फल-फूल रहा है। कोचिंग संस्थान के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है, लेकिन प्रशासन इसका पालन कराने में असमर्थ है। यही वजह है कि कोचिंग संस्थाओं में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है। राजधानी समेत इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर में ऐसे स्थानों पर बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिन तक संकरी गलियों से होकर आगजनी की स्थिति में फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाएगी। सूरत घटना के बाद भोपाल, इंदौर में प्रशासन की टीम ने दबिश दी, एक भी कोचिंग संस्थान सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरी। प्रशासन की टीम सिर्फ चेतावनी देकर वापस लौट गईं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रदेश के लगभग सभी शहरों में प्रशासन लगातार निरीक्षण कर रहा है| 

नगर निगम की टीम बोर्ड ऑफिस केके प्लाजा स्थित कोचिंग सेंटर पर जांच के लिए पहुंची। अधिकारियों के पहुंचते ही कोचिंग संचालकों में हड़बड़ी मच गई। फायर सेफ्टी की व्यवस्थाओं से नाराज होकर अधिकारियों ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा को आप लोगों ने मजाक बनाकर रखा है। पांच-पांच कोचिंग एक ही बिल्डिंग में चला रहे हैं। 500 से ज्यादा छात्र रोजाना यहां पढऩे आते हैं और फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ कार में धुआं कम करने वाला अग्निशामक यंत्र मिला। कमर्शियल बिल्डिंग में चल रही कोचिंग सेंटर्स का निरीक्षण किया। इस दौरान पाया कि ज्यादातर कोचिंग में फायर सेफ्टी सिर्फ खाना पूर्ति व दिखावे के लिए ही की गई है।  


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