विधायक और मंत्रियों के खिलाफ खुलकर सामने आए कार्यकर्ता, सरकार की बढ़ी चिंता

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भोपाल। प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार आई है तो कार्यकर्ता आस लगाए थे कि उनके काम को मंत्री एवं विधायक महत्व देंगे। अब सरकार बनी तो कार्यकर्ताओ को न मंत्री भाव दे रहे हैं न विधायक कोई महत्व दे रहे हैं। जिसके कारण कार्यकर्ता खासा असंतुष्ट होकर अब खुलकर बोलने लगा हैं। जिसके कारण सरकार की परेशानी बढ़ रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं मंत्रियों एवं विधायकों से कह चुके है कि वह कार्यकर्ताओं को महत्व दें वहीं गत दिनों सिंधिया ने भी अपने समर्थक मंत्रियों को ताकीद दी थी कि कार्यकर्ताओं के काम पहली प्राथमिकता के साथ करें। अब बड़े नेता तो कह रहे है, लेकिन लगता है कि मंत्रियों एवं विधायकों को फिलहाल कार्यकर्ताओं के लिए समय नहीं है।

कांग्रेस के अंदरखाने से जैसे ही विरोध के स्वर बाहर निकलकर आते हैं वैसे ही भाजपा हमला करना शुरू कर देती है। जिससे बचने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं को प्रयास करना पड़ते है। गत दिनों भोपाल में किसान कांग्रेस की बैठक हुई तो किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने प्रदेश के कृषि मंत्री के समक्ष कहा था कि सरकार बनने के बाद सरकारी समितियों में मंत्रियों एवं विधायको के लोंगो को ही तरजीह मिल रही है, क्या अन्य कार्यकर्ताओ ने कांग्रेस के लिए काम नहीं किया था? ऐसे कई सवाल थे जिसको लेकर कृषि मंत्री सचिन यादव भी जवाब देने में अपने आपको असहाय समझ रहे थे। किसान कांग्रेस की बैठक में किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुर्जर ने तो यहां तक कह दिया कि संगठन को मजबूत करने की तरफ किसी का ध्यान नहीं है, उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब कटनी में संजय पाठक कांग्रेस विधायक हुआ करते थे उस समय उन्हीं के कहने से सभी नियुक्तियां होती थी, लेकिन उनके भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस कटनी में संगठन भी खड़ा नहीं कर सकी है, गुर्जर ने तो विधायकों एवं मंत्रियों को अंहकारी तक कह दिया था। बैठक में रीवा के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र पाठक ने तो यहां तक बोला कि कांग्रेस अब राजा-महाराजाओं की पार्टी हो गई है जहां आम कार्यकर्ता को न सम्मान मिलता है न उसका काम किया जाता है।


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