दुनियाभर में शायरी से दिलाई प्रदेश को नई पहचान, डॉ राहत इन्दौरी को मिला शिखर सम्मान

भोपाल। कभी बुधवारा की तंग गलियों में मौजूद साथी मंजर भोपाली के छोटे से घर में कई-कई दिन का डेरा तो कभी इब्राहिमपुरा की किंग्स होटल के एक कमरे में अपनी शायरी पर धार लगाते हुए राहत… सैफिया कॉलेज के चुनावी जलसों में अपने शेर-ओ-कलाम के लिए दाद खोजते राहत तो कभी इकबाल मैदान के बड़े मुशायरों में मौजूद अपने चाहने वालों से अभिभूत होते राहत…! मकबूलियत और दुनिया में नाम की शौहरत के साथ भी उन्हें कभी इब्राहिमपुरा के किसी छोटे होटल में मिलने वाले पाया-पराठा की याद सता जाती है तो मुशायरों के बड़े मजमों में भी दसों नाम ऐसे खोज निकालते हैं, जिनसे उनकी शुरूआती दौर की जान, पहचान और करीबी है। 

दुनिया के चहेते और मकबूल शायर डॉ. राहत इंदौरी को संस्कृति विभाग के शिखर सम्मान के लिए चुना जाना न सिर्फ इंदौर के बाशिंदों के लिए फख्र और खुशी की बात है, बल्कि उनकी इस कामयाबी पर शहर-ए-भोपाल भी इतराता नजर आ रहा है। वजह यहां से राहत की बरसों पुरानी रगबत, जान-पहचान और नजदीकियां हैं। राहत कामयाबी के शिखर पर भी भोपाल से उन्हें जो मिला है, उसे कभी भूलते नहीं, जब भी जिक्र होता है, वे इस शहर को अपनी कामयाबी की पहली सीढ़ी बताने में गुरेज नहीं करते। राहत को मिले शिखर सम्मान से भोपाल खुश है, गौरांवित महसूस कर रहा है और इस बात पर फख्र भी करता नजर आ रहा है कि राहत सिर्फ इंदौर की नहीं, बल्कि वे इस शहर की भी राहतें रखते हैं। 


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