दस प्रतिशत कमीशन की चाह ने ली थी 70 बच्चों की जान: डॉ. कफील

भोपाल। दो साल पहले उप्र के गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने से 70 बच्चों की मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि वहां के मंत्रियों और जिम्मेदार की बदनीयत और घूसखोरी का नतीजा था। ऑक्सीजन सप्लायर द्वारा लगातार चिठ्ठियां लिखने के बावजूद उसको आदेश जारी न करने के पीछे महज कहानी 10 फीसदी कमीशन के फेर में अटकी हुई थी। जिसके नतीजे में 70 मासूमों की मौत के रूप में यह हादसा सामने आया। सरकारी तंत्र और गंदी सियासत के उसूलों में किसी को कुसूरवार ठहराकर उसे सूली चढ़ाने का रिवाज होता है, इसलिए सारी कहानी उस शख्स पर थोप दी गई, जो न तो अस्पताल का जिम्मेदार था और न ही हादसे के समय वह मौजूद था। बावजूद इसके हादसे की खबर के साथ ही उसने पहुंचकर मरीजों की मदद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

बीआरडी हास्पीटल के बर्खास्तशुदा डॉ. कफील खान ने मंगलवार को अपनी दास्तान राजधानी के मीडिया के सामने सुनाई। उन्होंने बताया कि जिस रात हादसा हुआ, उस समय उनकी सेवाकाल के महज एक साल ही गुजरा था, लेकिन उन्हें अस्पताल का सबसे बड़ा जिम्मेदार बनाकर पेश कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हादसे के बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर जितनी मदद हो सकती थी की। अपने स्तर पर ऑक्सीजन के इंतजाम भी किए और सैकड़ों बच्चों की जान बचाने की मिसाल भी कायम की। लेकिन मामला जब तक मानवीयता तक देखा जा रहा था, तमाम मीडिया उन्हें मसीहा के रूप में निरुपित कर रहा था, लेकिन जैसे ही यह फिसलकर सियासत की तरफ गया, उसी मीडिया ने उन्हें सबसे बड़ा जल्लाद और हत्यारा करार दे दिया है। 


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