कांग्रेस के सामने 19 फीसदी वोट पाटने की चुनौती, इन सीटों पर टिकी नजर

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भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग शुरू हो गई है। दोनों दलों के नेता अब आमने सामने आने लगे हैं। लेकिन प्रदेश की कई हाई प्रोफाइल सीटों पर अभी भी उम्मीदवारों के ऐलान का इंतजार है इसमें भोपाल समेत इंदौर लोकसभा सीट भी शामिल है। जिनके टिकट कटे हैं और जिन्हें पार्टियों ने उम्मीदवार बनाया है उनके खिलाफ विरोध और बगावत का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस को अगर प्रदेश में जीत हासिल करना है तो उसे 19 फीसदी वोटों के अंतर को पाटना होगा।

पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच 19 फीसदी से अधिक वोटों का अंतर था। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को जहां 34.89 फीसदी वोट मिले थे। वहीं दूसरी तरफ भाजपा को 54.02 फीसदी ही वोट मिले थे। इस तरह दोनों ही बड़े दलों के बीच 19.13 फीसदी वोटों का अंतर था। चुनाव परिणाम के लिहाज से यह अंतर काफी मायने रखता है। इसका नतीजा यह रहा कि प्रदेश की 29 में से 27 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और कांग्रेस को महज दो संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा और गुना से ही संतोष करना पड़ा था।


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