प्रदेश के कलाकार दिखाएंगे बंगाल के मंच पर हुनर

भोपाल। बंगाल का जादू दुनिया के सिर चढ़कर बोलता आया है, लेकिन इस बार एक नायाब मौका बन रहा है, जब मप्र के कलाधर्मियों के फन का जादू बंगाल की आंखों में उतरने वाला है। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के राष्ट्रीय नाट्य समारोह में भोपाल के रंगकर्म को भी अपनी कला दिखाने का मौका मिला है। यह कलाकार मशहूर शायर मीर तकी मीर की जिंदगी को पिरोए एक नायाब नाटक जिक्र-ए-मीर के जरिये कोलाकाता की धरती पर पहुंचने वाले हैं। 

भोपाल की सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी को यह नायाब मौका मिला है। पश्चिम बंगाल के मंच पर आयोजित होने वाले इस समारोह में प्रदेश की यह इकलौती संस्था है, जिसे अपनी कला दिखाने का अवसर दिया गया है। संस्था के निजाम पटेल ने बताया कि 18वीं सदी तक किसी शायर ने अपनी आत्मकथा नहीं लिखी थी, लेकिन जिक्र-ए-मीर एक ऐसी कथा है, जिसे महाकवि मीर तकी मीर की आत्मकथा कहा जा सकता है। मीर के इस जिक्र में उनकी जिंदगी के कई पहलुओं को बारीकी से पिरोया गया है। उन्होंने कहा कि मीर की कल्पनाओं और उनके ख्याल को उन्हीें के अंदाज में पेश करने की एक कोशिश जिक्र-ए-मीर के जरिये की जा रही है। निजाम बताते हैं कि मीर की बुनियादी दुनिया में इश्क का बड़ा आकाश फैला हुआ दिखाई देता है, जिसमें न औरत-मर्द का फर्क है और न काले-गोरे की फिक्र, इसमें न हिन्दू और मुसलमान को अलग-अलग रखा गया है और न दुनिया के फैलाए हुए किसी भ्रम पर बात शामिल है। मीर की मुहब्बत की दुनिया बहुत विस्तारित है, जिसमें इंसान और इंसानियत को ही तवज्जो है। निजाम ने बताया कि पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के राष्ट्रीय नाट्य समारोह के दौरान 9 दिसंबर को जिक्र-ए-मीर का मंचन किया जाएगा। मीर तकी मीर के इस इस नाटक का नाट्य रूपांतरण निजाम पटेल ने किया है, वे ही इसका निर्देशन भी करेंगे। उन्होंने बताया कि नाटक को मूर्तरूप देने क लिए भव्य सेट, बेहतर संगीत, सामयिक कास्टयूम, आकर्षक लाइटिंग के साथ मंजे हुए मंच कलाकारों को शामिल किया गया है। वे उम्मीद रखते हैं कि बंगाल की धरती पर जिक्र-ए-मीर का मंचन बरसों जिक्र करने के हालात बनाकर लौटेगा।


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