भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन पार्टी द्वारा लागू किया गया उम्र का फार्मूला कई पूर्व मंत्रियों के क्षेत्र में रोड़ा बन गया है। इस वजह से अब तक 76 मंडलों के अध्यक्षों की घोषणा रुक गई है। इससे पार्टी के कई दिग्गज नेता भी प्रभावित हुए हैं। पार्टी के मंडल चुनाव में 40 साल उम्र का पैमाना रखा गया है।
इसके दायरे में आने वालों की ही पार्टी मंडल अध्यक्ष बनाएगी। जो इसके बाहर होंगे उन्हें मंडल अध्यक्ष पद के लिए चुना नहीं जाएगा। ऐसा कुछ हुआ भी। प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह के गृह जिले जबलपुर में एक ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष की उम्र 40 साल एक महीने होने से निर्वाचन अधिकारी द्वारा उसका नाम घोषित करने से इंकार कर दिया गया। ऐसा ही मामला पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और पूर्व मंत्री जयंत मलैया सहित कई दिग्गज नेताओं के इलाकों में हुआ। जहां उम्रसीमा के पालन के लिए दिग्गज नेताओं को नए नाम पर सहमत होना पड़ा।
उम्र के फेर में अटका निर्णय
दरअसल, पार्टी ने ऐसे मामलों को फिलाहल रोक दिया है जिनमें उम्र को लेकर हेरफेर हो रहा है। ऐसे 72 विवादास्पद मामले बताए जा रहे हैं। इन लोगों के खिलाफ उम्र से संबंधित दस्तावेज स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रदेश निर्वाचन पदाधिकारियों को भेजे थे। झाबुआ जिले के मंडल अध्यक्षों का चुनाव अभी नहीं हुआ है। उपचुनाव के कारण वहां अभी सिर्फ बूथ के चुनाव हो पाए हैं।
इसलिए हो रही घोषणा में देरी
पार्टी मंडल अध्यक्ष के लिए उम्र सीमा 35 साल से 40 साल के बीच निर्धारित की है। कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जो इस फार्मूले में फिट नहीं बैठ रहे हैं। लेकिन उनका विरोध भी पार्टी को झेलना पड़ सकता है। वहीं, देरी का दूसरा बड़ा कारण है कि जातीय संतुलन बैठाना। अलग अलग जिलों के मुताबिक पार्टी जातीय संतुलन भी बैठाना चाहती है। इसलिए इसको लेकर भी काफी समय लगा है। इस वजह से अब तक 750 के लगभग मंडल चुनाव के परिणाम घोषित हो पाए हैं। बाकी जिलों को लेकर प्रदेश कार्यालय में संगठन के साथ बैठकें चल रही हैं।