MP: ‘कर्जमाफी’ के लिए अफसरों ने कसी कमर, पहली कैबिनेट में हो सकता है फैसला

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भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने जा रही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती किसानों की कर्जमाफी है| सरकार गठन के बाद पहली कैबिनेट में कर्जमाफी का फैसला हो सकता है| इसकी तैयारियां जोरो पर है| शासन स्तर पर भी इसकी कवायद शुरू हो गई है। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर इसकी तैयारी के बारे में पूछा है। बैंकों से कर्जमाफी का ब्योरा मांगा गया है। सहकारिता अधिकारियों ने बताया कि हमारे पास 40.96 लाख किसानों पर 56 हजार करोड़ का कर्ज होने का अनुमान है। शनिवार को सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव सभी जिलों में सरकारी अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे| सूत्रों के मुताबिक सोमवार तक अंतिम आंकड़े आ जायेंगे| वहीं अधिकारी पंजाब कर्नाटक महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कर्ज माफी मॉडल का अध्ययन कर रहे हैं, मंडी आयुक्त फैज मोहम्मद ने चंडीगढ़ का दौरा भी किया है| 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद लोगों में सबसे ज्यादा चर्चा सबसे बड़ी घोषणा कर्जमाफी की हो रही है| क्यूंकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने चुनाव रैलियों में ऐलान किया था कि सरकार बनने के दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा| अगर ऐसा नहीं हुआ तो 11वे दिन मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा| पार्टी ने अपने वचन पत्र में भी इसे शामिल किया और यही माना जा रहा है कि यही वादा कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर गया और वह बहुमत के करीब पहुंचने में कामयाब रही। अब कांग्रेस इस वादे पर अमल करने में जुट गई है| मुख्यमंत्री की घोषणा होने के बाद कमलनाथ ने कहा हमारी प्राथमिकता वचन पत्र में लिखी हर बात पर अमल करना होगा| मध्य प्रदेश का खजाना खाली हैं, लेकिन हम कर्ज माफी के लिए अन्य सोर्सेस का उपयोग करेंगे। सरकार गठन से पहले ही कांग्रेस ने भी अपने वादे को पूरा करने की तैयारी तेज कर दी है| 


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