भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ को प्रदेश में सरकार चलाने में काफी अड़चने भाजपा से नहीं बल्कि अपनों से ही हो रही है। सरकार को मजबूत करने के लिए सपा-बसपा के साथ ही कुछ वरिष्ठ कांग्रेस विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाना था और इसके लिए कुछ मंत्रियों से इस्तीफा लिए जाने थे, लेकिन इस्तीफा लेने की भनक लगने के बाद सिंधिया समर्थक मंत्री सक्रिय हो गए और भोपाल में एक बैठक कर आगे की रणनीति बनाई। सूत्रों के मुताबिक विरोध के स्वर को देखते हुए फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार पर ब्रेक लग गया है। अब विधानसभा सत्र के बाद ही इस बारे में सोचा जाएगा।
विधानसभा चुनाव के बाद जब मंत्रीमंडल बना था तो कई कांग्रेस विधायकों के साथ ही निर्दलीय विधायक नाराज हो गए थे। उनकी नाराजगी को कमलनाथ ने बैठकर दूर किया था और भरोसा दिलाया था कि लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रीमंडल विस्तार में कुछ विधायकों को शामिल कर लिया जाएगा। लोकसभा चुनाव तक सब ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन चुनाव होने के बाद नाराज विधायक मंत्री बनने के लिए दबाव बनाने का काम कर रहे हैं। अब मुख्यमंत्री के सामने समस्या यह है कि नाराज विधायकों को मंत्रीमंडल में स्थान देने के लिए कुछ मंत्रियों से इस्तीफा लेना पड़���गा, क्योंकि नियम के हिसाब से सिर्फ 15 प्रतिशत विधायकों को ही मंत्री बनाया जा सकता है।
सिंधिया एवं दिग्विजय सिंह समर्थक 2-2 मंत्रियों से इस्तीफा लिए जाने की अटकलें जब शुरू हुई तो सिंधिया समर्थक मंत्री सक्रिय हो गए और दिल्ली में सिंधिया के साथ बैठक की। दिल्ली के बाद भोपाल में मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के आवास पर सिंधिया समर्थक मंत्रियों की बैठक हुई।सूत्रों के मुताबिक बैठक के बाद जो चर्चा बाहर निकलकर आई उसके अनुसार सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने तय कर लिया है कि अगर किसी एक से इस्तीफा मांगा जाता है तो सभी इस्तीफा दे देंगे। अब यह बात जब मुख्यमंत्री के पास पहुंची तो वह फिलहाल मामले को शांत करने एवं विरोध को ठंडा करने में जुट गए हैं।
अब विधानसभा सत्र के बाद ही संभावना
सूत्र का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ अब नए सिरे से सिंधिया एवं दिग्विजय सिंह से इस मामले में चर्चा कर आगे की रणनीति पर बात करेंगे उसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि किस मंत्री से इस्तीफा लिया जाए और किसको शामिल किया जाए। सिंधिया समर्थक मंत्रियों के एकजुट होने के कारण संभावित विरोध को देखते हुए सीएम ने फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों को यह कहते हुए विराम लगा दिया है कि ऐसा अभी उन्होंने सोचा ही नहीं है। ऐसे में अब समस्या यह आ सकती है कि जो नाराज हैं उनको कैसे मनाया जाए, लेकिन सीएम इस मामले में काफी आगे हैं और वह नाराज विधायकों के साथ जब भी बैठते हैं, विधायक सीएम हाउस से खुश होकर ही निकलता है।