पीसीसी में सन्नाटा, मंत्रालय में भीड़, कार्यकर्ताओं से कटे ‘नेताजी’

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भोपाल। आमतौर पर जिस राजनीतिक दल की सरकार होती है, उसका प्रदेश कार्यालय अघोषित तौर पर सत्ता का पॉवर सेंटर होता है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में इन दिनों वैसा ही सन्नाटा पसरा रहता है, जैसा विपक्ष के समय में था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 6 महीने बीत गए हैं, लेकिन पार्टी के आम कार्यकर्ता और आम आदमी के लिए न तो संगठन के पास वक्त है और न ही मुख्यमंत्री के पास। शुरूआत में पीसीसी में हलचल थी, लेकिन अब पार्टी नेता नए पीसीसी के गठन के इंतजार में है। 

14 महीने पहले कमलनाथ के पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश कांगे्रस कार्यालय में हलचल बढ़ी थी। सत्ता में आने के बाद पीसीसी में प्रदेश भर से पार्टी नेता एवं कार्यकर्ताओं की भीड़ उमडऩा शुरू हुई, लेकिन यह भीड़ ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई। क्योंकि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में न तो नेता मिलते हैं और न हीं मंत्री, मुख्यमंत्री से मुलाकात हो पाती है। यही वजह है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इन दिनों पीसीसी से पूरी तरह से दूरी बना ली है। प्रदेश कार्यालय में प्रभारी संगठन महामंत्री चंद्रप्रभाष शेखर ही मिलते हैं। वे संगठन के कार्य एवं फोन पर जनमस्याएं निपटाने में ही उलझे रहते हैं। ऐसे में दूर-दराज के जिलों से आने वाले कार्यकर्ता नेताअेां से बिना मिले ही लौट जाते हैं। भूतल पर पीसीसी अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक और मीडिया विभाग की टीम पूरे समय मौजूद रहती है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से राष्ट्रीय महामंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कक्ष भी कभी-कभी ही खुलता है। जबकि सिंधिया लंबे समय से नहीं आए। 


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