किसानों के मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति, भाजपा पूछेगी-कितने गांवों में गए सीएम

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भोपाल। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही भारतीय जनता पार्टी कर्जमाफी एवं किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर कमलनाथ सरकार पर हमला करेगी। भाजपा कर्जमाफी से लाभांवित किसान और गैर लाभांवित किसानों की जानकारी जुटा रही है। जिसे चुनाव में मुद्दा जाएगा। साथ ही सार्वजनिक तौर पर यह पूछेगी कि मप्र की कांग्रेस सरकार किसान हितैषी होने का ढिंढौरा पीट रही है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ कितने गांवों में गए और आपदा प्रभावित कितने किसानों से मिले। भाजपा अगले चुनाव में इस मुद्दे को भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है। 

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की अलग-अलग स्तर पर बैठकें हुई हैं। जिनमें यह तय किया गया है कि प्रदेश में सरकार की कमान संभालने के बाद से सरकार सिर्फ आदेश जारी करने में लगी है। लेकिन आदेशों का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी लेने की फुर्सत सरकार के पास नहीं है। भाजपा की ओर से किसान मोर्चा को निर्देशित किया कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बड़े नेताओं की सभाएं शुरू होने से पहले कर्जमाफी से लाभांवित किसानों का डाटा जुटाए। जिस जिले में बड़े नेता की सभा होगी, वहां पार्टी की ओर से किसानों से जुड़ी जानकारी भेजी जाएगी। भाजपा चुनाव में किसानों के बीच यह मुद्दा खड़ा करेगी कि कांग्रेस ने सरकार बनने के 10 दिन के भीतर कर्जमाफी करने का वादा किया था, लेकिन सरकार तीन महीने के भीतर भी किसानों का कर्जा माफ नहीं कर पाई है। कांग्रेस सरकार किसानों के साथ धोखा करने जा रही है। संगठन सूत्रों ने बताया कि पार्टी की कोशिश चुनाव में किसानों के मुद्दे को खड़ा करना है, इसी मुद्दे के आधार पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अभी तक ज्यादातर किसानों को सिर्फ कर्जमाफी का प्रमाण पत्र दिया है, खातों में पैसा नहीं दिया है। किसान मोर्चा के अध्यक्ष रणवीर रावत ने बताया कि हम यह पता कर रहे हैं कि प्रदेश में किस गांव के किसान का 2 लाख तक का कर्जा माफ हुआ है, अभी तक एक भी किसान का नाम सामने नहीं आया है। यदि ऐसा है तो फिर यह किसानों के साथ बड़ा धोखा है। 


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