भोपाल। क़तर के बड़े बिजनेस मैन सामाजिक कार्यकर्ता उर्दू अदब से बेपनाह मुहब्बत करने वाले बज़्म ए उर्दू क़तर के रूहे रवां भोपाल सरजमीं से दोहा क़तर में हिन्दुस्तान का परचम बुलंद करने वाले सबीह सुहैल बुखारी साहब को यादे अर्जुन सिंह मुशायरे में अर्जुन सिंह अलंकरण सम्मान से नवाज़ा गया। इकबाल मैदान के मुशयरे में सम्मान के बाद सुहैल बुखारी साहब ने कहा कि, ‘मुझे दुनिया में कई जगह सम्मान मिला लेकिन जो सम्मान भोपाल में मिला वो मेरे लिए गौरव कि बात है।”
उन्होंने कहा कि, जब भी वो भोपाल आते हैं तो हमें भोपाल में कोई बड़ा बदलाओं नहीं देखने को मिलता है। जैसे और शहरों में देखने को मिलता है वहीं सड़कें, वहीं गालियां, वहीं चौक वहीं चाय दुकानें इन सब में कोई बदलाओ नहीं हुआ। जिससे हमारी पुरानी यादें जुड़ी हैं। लेकिन 35 साल पहले की वो यादें जिसे हम भूल रहे हैं भोपाल में कि ज़ुबान और तहज़ीब यहां की जीवन शैली को हम भूलते जा रहें है।
उन्होंने कहा कि भोपाल में एक चलन में बोला जाता था ‘अपन’ आज कल सुनने को नहीं मिलता। इस शब्द ‘अपन’ में जो अपना पन था वो खत्म हो रहा है। मैं यहां के लोगों से गुज़ारिश करता हूं कि मुझे वो 35 साल पुराना वाला भोपाल मुझे लौटा दो। हम रहते तो कतर में हैं लेकिन मेरा दिल हमेशा भोपाल में रहता है। इस लिए एक माह से ज़्यादा हम क़तर में रह नहीं पाते और कभी कभी महीने में दो तीन बार भी आना हो जाता है और जो सुकून भोपाल आकर मिलता है वो कहीं नहीं है और भोपाल की गंगा जमुनी तहजीब का तो कोई जवाब नहीं। इसे कायम रखना है वहीं बुखारी साहब ने कहा के हम जब भोपाल कतर में अदबी कोई प्रोग्राम करते हैं तो भोपाल कि नुमाइंदगी के लिए शायर और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हम ज़रूर बुलाते हैं।