प्रदेश में अब किसानों पर फिर गर्माएगी सियासत

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भोपाल। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही अन्नदाता सियासत के केंद्र में है। क्योंकि नई सरकार के कमान संभालते ही सबसे पहले किसानों की कर्जमाफी का ऐलान किया है। अगले चुनाव से पहले किसानों को कर्जमाफी का फायदा पहुंचाना सरकार के लिए चुनौती है। वहीं कर्जमाफी को लेकर लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने के लिए किसानों के बीच जाने की तैयारी में है। दोनों दलों के कार्यक्रम तय हो चुके हैं। विधानसभा का सत्र खत्म हो चुका है, अब राजनीतिक दलों का फोकस किसानों के बीच पहुंचना है। यह पूरी कवायद अगले लोकसभा चुनाव को देखते हुए की जा रही है। क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव से किसान चुनाव में प्रमुख मुद्दा था। 

लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दलों के लिए किसान एक बार फिर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने का जरिया बनता दिख रहा है। कांग्रेस जहां 15 जनवरी से सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होकर कर्जमाफी का बखान करने किसानों के बीच जाएगी, वहीं भाजपा ओला प्रभावित किसानों के बीच पहुंचेगी। किसानों को कर्जमाफी देने की पूरी तैयार हो चुकी है। पात्र किसानों से कर्जमाफी का फार्म भरवाने के लिए अब प्रशासनिक अमला गांवों में उतरेगी। इसकी शुरूआत अगले हफ्ते से होने जा रही है। खास बात यह है कि किसानों से फार्म भरवाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ, मंत्री एवं कांगे्रस के विधायक व सांसद भी गांवों में जाएंगे। संगठन की ओर से इस काम में पार्टी कार्यकतार्ओं को भी उतारने का मन बना लिया है। कांग्रेस प्रदेश कार्यालय की ओर से जल्द ही इस संबंध में सभी जिला एवं ब्लॉक पदाधिकारियों को कर्जमाफी को लेकर किसानों के बीच जाने का कार्यक्रम जारी किया जाएगा। पार्टी नेता हर गांव में जाकर यह बताएंगे कि कांग्रेस सरकार ने यह काम किया है। इसके पीछे कांग्रेस की रणनीति लोकसभा चुनाव में राजनीतिक फायदा लेने की है। क्योंकि प्रशासनिक स्तर पर कर्जमाफी की प्रक्रिया पूरी कराई जाती है तो इसका श्रेय कांग्रेस को उतना नहीं मिलता जितना पार्टी के मैदान में उतरने से मिलेगा। 


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