ग्वालियर। सरकारें बेहतर शिक्षा के लिए अलग अलग योजनाओं के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं को पैसा उपलब्ध कराती हैं लेकिन संस्थानों के प्रबंधन की लापरवाही के चलते पैसे का सदुपयोग नहीं हो पाता जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स को उठाना पड़ता है। ऐसा ही मामला सामने आया है राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान “रूसा” में । जिसमें कॉलेजों में कंप्यूटर और अन्य उपकरण खरीदने के लिए कॉलेजों को पैसा दिया गया लेमिन ज्यादातर कॉलेजों ने इस पैसे का इस्तेमाल ही नहीं किया।
“रूसा”के तहत ग्वालियर के साइंस कॉलेज सहित प्रदेश के 22 कॉलेजों को कम्प्यूटर और अन्य उपकरण खरीदने के लिए पैसा उपलब्ध कराया गया। साइंस कॉलेज में प्रबंधन ने स्टूडेंट्स के लिए कंप्यूटर लेब तो बना दी और फर्नीचर भी लगा लिया लेकिन कंप्यूटर नहीं ख़रीदे। इसलिए “रूसा” से मिले 2 करोड़ रुपए में करीब 30 लाख रुपयों क इस्तेमाल ही नहीं हुआ। ऐसा ही हाल प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों का है। इसे लेकर उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त राघवेन्द्र सिंह ने 22 कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर 3 दिन में जवाब मांगा है। पत्र में लिखा गया है कि कॉलेजों को दिए गए पैसों का 65 प्रतिशत से भी कम खर्च हुआ है इसलिए क्यों ना प्राचार्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
इन कॉलेजों को भेजे पत्र
साइंस कॉलेज ग्वालियर, एमएलबी कॉलेज ग्वालियर, हमीदिया आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज भोपाल, गीतांजलि गर्ल्स कॉलेज भोपाल, नीलकन्ठेश्वर कॉलेज खंडवा,शासकीय कॉलेज दतिया, गर्ल्स कॉलेज सीहोर, शासकीय कॉलेज सागर, एसकेबी कॉलेज जबलपुर, शासकीय कॉलेज टीकमगढ़, शासकीय कॉलेज निवाड़ी, शासकीय कॉलेज बीना, शासकीय कॉलेज सागर, सीताराम जाजू गर्ल्स कॉलेज नीमच, शासकीय कॉलेज छतरपुर, शासकीय कॉलेज सतना, शासकीय चंद्र्विजय कॉलेज डिंडौरी, चन्द्र शेखर आजाद कॉलेज सीहोर, शासकीय गर्ल्स कॉलेज बैतूल, शासकीय कॉलेज नरसिंहपुर ,शासकीय गर्ल्स कॉलेज कटनी और शासकीय कॉलेज मंदसौर।