ग्वालियर । शहर से कुछ दूर रायरू पर बनी बापना ग्रुप की एल्कोब्रू प्राइवेट लिमिटेड यानि रायरू डिस्टलरी गरीबों को दिए जाने वाले पट्टे की जमीन पर खड़ी है। ये जमीन अनुसूचित जाती-जनजाति लोगों को पट्टे पर दी गई थी। ये खुलासा कलेक्टर अनुराग चौधरी की छापामार कार्रवाई में सामने हुआ है। कलेक्टर के साथ अचानक प्रशासनिक अमले को देख डिस्टलरी प्रबंधन सकते में आ गया । फिर जब जांच हुई तो तमाम कमियाँ सामने आई। जिनके खिलाफ कलेक्टर ने कार्रवाई के निर्देश दिए।
कलेक्टर अनुराग चौधरी प्रशासनिक अफसरों के लाव लश्कर के साथ रायरू डिस्टलरी पहुंचे। यहाँ पहुँचते ही उन्होंने देश शराब बनाने वाली यूनिट, मिक्सिंग प्लांट, डायवर्शन शुल्क , सीएसआर फंड आदि की जाँच की। कलेक्टर ने स्टॉक रजिस्टर देखा और जब मजदूरों से बात की तो पता चला की किसी का भी पीएफ नहीं कटता और दैनिक मजदूरी केवल 260 रुपए मिलती है। कलेक्टर ने डिस्टलरी प्रबंधन को फटकार लगाते हुए असिस्टेंट लेबर कमिश्नर को तत्काल निर्देश प्रकरण बनाने के निर्देश दिए । डिस्टलरी में वेस्ट मटेरियल के उपयोग और नियमानुसार नष्ट करने के मामले में भी गड़बड़ियाँ मिली है। जिसके लिए पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को जांच के आदेश दिए गए साथ ही आबकारी विभाग को भी संदिग्ध अवैध शराब के मामले में जांच के लिए कहा गया है
कलेक्टर के साथ गए राजस्व अधिकारियों ने जब दस्तावेज खंगाले तो सामने आया कि जिस जमीन पर रायरू डिस्टलरी खड़ी है वो तो अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को पट्टे पर दी गई है। अब सवाल ये उठता है कि बेशकीमती ये जमीन पर कब और कैसे डिस्टलरी खड़ी हो गई। कलेक्टर अनुराग चौधरी का कहना है कि जिस जगह पर डिस्टलरी खड़ी है वो जमीन अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को पट्टे पर दी गई थी इसकी जांच कराई जाएगी।