दूषित पेयजल पर HC सख्त, CPHEEO और राज्य सरकर को नोटिस

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ग्वालियर । ग्वालियर शहर में लगातार हो रहे दूषित पानी की सप्लाई को लेकर एक समाजसेवी द्वारा लगाई गई जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने केंद्र सरकार के केन्द्रीय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं पर्यावरण संगठन को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं । साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब तलब किया है। इस मामले की सुनवाई अब 3 जून को की जाएगी ।

दरअसल ग्वालियर के  समाजसेवी राजेंद्र तलेगांवकर ने शहर में हो रहे दूषित पानी की सप्लाई को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि स्वच्छ पानी पीना हर व्यक्ति का बुनियादी हक है लेकिन नगर निगम के तिघरा बांध से सप्लाई होने वाले पानी का स्तर गुणवत्ता विहीन होकर प्रदूषित है। पिछले लंबे अरसे से ग्वालियर में प्रदूषित और पीले रंग के पानी की सप्लाई की जा रही है जिसमें बदबू आना आम बात हो गई है। इस पानी के लगातार इस्तेमाल से डायरिया उल्टी दस्त सहित दूसरे संक्रामक रोग होने का अंदेशा है। याचिकाकर्ता ने पेयजल के मानकों से संबंधित 77 पेज का एक मैनुअल कोर्ट में पेश किया है। इस पर हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए ग्वालियर कलेक्टर ग्वालियर, नगर निगम कमिश्नर ग्वालियर और नगरीय प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदूषित पानी को लेकर केंद्र सरकार का लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग भी जिम्मेवार है। इसलिए उसे पक्षकार बनाया जाए। गौरतलब है कि ग्वालियर शहर में प्रदूषित पानी की सप्लाई को लेकर पहले भी कई शिकायतें नगर निगम कमिश्नर और जिला प्रशासन को की जा चुकी है। और आन्दोलन भी हो चुके हैं  लेकिन पानी शुद्ध ना होकर प्रदूषित सप्लाई हो रहा है । हाई कोर्ट के निर्देश के बाद अब इस मामले की सुनवाई 3 जून को होगी।


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