ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मीसाबंदियों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार से उनको पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद मीसाबंदियों की पेंशन रोक दी थी। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 30 दिन में पेंशन बंद करने के उचित कारण बताने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मीसाबंदी सीताराम बघेल व अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि सभी पन्द्रह याचिकाकर्ता मीसाबंदियों की रोकी गई पेंशन एक महीने में फिर से शुरू की जाए। साथ ही शासन को 30 दिन में यह बताना होगा कि पेंशन क्यों रोकी गई थी? मीसाबंदियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने मीसा बंदियों को यह अंतरिम राहत देते हुए इस मामले को भी मीसाबंदियों की पेंशन से संबंधित अन्य मामलों के साथ सुनवाई के लिए रखे जाने के निर्देश भी दिए हैं।
गौरतलब है कि मीसाबंदी सीताराम बघेल व अन्य द्वारा यह याचिका राज्य सरकार द्वारा उनकी पेंशन रोके जाने के खिलाफ 29 दिसंबर 2018 को लगाई गई थी। याचिका में बताया गया कि पिछली सरकार द्वारा प्रत्येक मीसाबंदी को 25 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही थी। लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद यह कहते हुए पेंशन रोक दी कि पेंशन देने में गड़बड़ी हुई है। इसमें कई अपात्रों को भी पेंशन दी जा रही है जो कि कभी जेल नहीं गए थे। हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस पर सरकार ने सभी मीसा बंदियों के दस्तावेजों की जांच के बाद पात्र मीसा बंदियों को पेंशन देने की बात कही थी। शासन का न्यायालय में कहना था कि मीसाबंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण जनवरी 2019 से याचिकाकर्ता पेंशनधारियों की पेंशन रोक दी गई थी। न्यायालय ने सत्यापन के आधार पर पेंशन चालू करने के आदेश दिए हैं। आपको बता दें कि आपातकाल के दौरान राजनीतिक या सामाजिक कारणों से जेल में बंद रहे मीसाबंदियों को सरकार लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि (पेंशन) दे रही है। मात्र एक दिन भी मीसा कानून के तहत जेल में बंद रहने वाले व्यक्तियों को पेंशन की पात्रता दी गई है। इन्हें आठ हजार रुपए महीना पेंशन दी जा रही है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत कम से कम एक माह जेल में बंद रहने वालों को पेंशन की पात्रता थी। जिसे 1 दिन कर दिया गया। एक माह या इससे अधिक अवधि वाले लोगों को 25 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जा रही है।