ग्वालियर । अर्धसैनिक बलों से रिटायर हुए कर्मचारियों ने उनके साथ सरकार द्वारा किये जा रहे भेदभाव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए पूर्व सैनिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि चार दिन के सांसद को सरकार पेंशन देती है और सीमा की सुरक्षा करने वाले की पेंशन बंद कर रखी है। लेकिन अब भेदभाव सहन नहीं होगा। हम अपनी मांगों को लेकर 13 दिसंबर को जंतर मंतर दिल्ली पर प्रदर्शन करेंगे और अपनी बात सरकार तक पहुंचाएंगे।
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ एक्स पैरा मिलिट्री फोर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले ग्वालियर चम्बल संभाग के अलावा देश के अलग अलग हिस्सों से आये पूर्व सैनिकों ने आज अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री व मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम ग्वालियर यूसुफ कुरैशी को सौंपा। संस्था के दिल्ली से आए जनरल सेक्रेटरी रणवीर सिंह ने कहा कि देश की 15 हजार किलोमीटर सीमा की सुरक्षा आज बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ, असम रायफल्स जैसे अर्ध सैनिक बलों के जवान कर रहे हैं। देश की रक्षा में ये सैनिक हमेशा आगे खड़े रहते हैं इसके बाबजूद भी सरकार इनकी मूलभूत मांगो को पूरा नहीं कर रही है। न तो इन्हें शहीद का दर्जा दिया जाता है न ही जायज पेंशन और भत्ते। उन्होंने कहा कि अर्ध सैनिक बल के जवानों की 2004 के बाद पेंशन बन्द कर दी गई है। यानि जो सैनिक चालीस साल तक सीमा की रक्षा करे सरकार उसे पेंशन नहीं देगी और जो नेता चार दिन के लिए भी सांसद बन जाये तो उसे जीवन भर पेंशन देगी ये भेदभाव अब सहन नहीं हिगा। ज्ञापन में वन रैंक वन पेंशन करने,इनके परिवार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिए जाने, केंटीन में 50% जीएसटी छूट दिए जाने की मांग की गई है। रणवीर सुंह ने कहा कि इन मांगों को लेकर 13 दिसम्बर को दिल्ली के जंतर मंतर पर रोष रैली का आयोजन किया जाएगा।