ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा धारा 15A को आधार बनाकर अवैध से वैध की गई कॉलोनियों के फैसले को पलटे जाने से एक बार फिर ग्वालियर की 429 कॉलोनियां अवैध हो गई है। HC के आदेश से कॉलोनियों में रहने वाले लोग परेशान हैं उससे कहीं ज्यादा परेशान हैं नगर निगम के अफसर जिन्होंने अवैध से वैध की गई कॉलोनियों में से कुछ में 2 करोड़ रुपये के विकास कार्य करा दिए। लेकिन अब उन्हें ये डर सता रहा है कि ठेकेदारों के पैसों का भुगतान कैसे होगा।
प्रदेश में फैलते जा रहे अवैध कॉलोनियों के जाल को वैध करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धारा 15A के तहत सभी को वैध करने का फैसला सुना दिया था। इस योजना की शुरुआत 8 मई 2018 को ग्वालियर के मेला ग्राउंड से हुई। उस समय ग्वालियर ��िगम प्रशासन ने अपनी सीमा में 696 कॉलोनियों को अवैध माना था। योजना की शुरुआत करते हुए तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 63 को वैध घोषित कर दिया था। बाद में अलग अलग चरण में ग्वालियर में कुल 429 अवैध कॉलोनियों को वैध किया गया। वैध किये जाने के बाद पहले चरण की 63 कॉलोनियों में विकास कार्य कराने के लिए 6.72 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया। इसमें से आधी राशि यानि 3 करोड़ 36 लाख रुपए कॉलोनी के रहवासियों तथा इतनी ही राशि शासन से मांगी गई। इसी बीच निगम ने टेंडर जारी कर करीब 2 करोड़ से सीसी रोड, नाली आदि बनवा दिए। ठेकेदारों की इस राशि का भुगतान भी अभी नहीं हो सका है। निगम प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव को भेज दी है। शासन से दिशा-निर्देश के बाद ही अब आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद एक ही झटके में वैध से फिर से अवैध हुई कॉलोनियों में निर्माण कार्यों पर संकट आएगा। नियमानुसार अवैध घोषित कॉलोनियों में प्लाट खरीदने वाले लोग प्लाट की रजिस्ट्री तो करा सकेंगे लेकिन उन्हें नगर निगम प्लाट पर निर्माण की मंजूरी नहीं दे सकेगा इसके अलावा उन्हें किसी भी बैंक से लोन भी नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के तहत किये जाने वाले काम जैसे अमृत योजना या किसो सरकारी एजेंसी द्वारा किये जाने वाले बोरिंग,सड़क निर्माण आदि के कम भी नहीं हो सकेंगे। लेकिन राहत की बात ये रहेगी कि सांसद, विधायक, महापौर और पार्षद अपनी मौ��िक निधि से विकास कार्य करवा सकते हैं।