ग्वालियर । लोकसभा चुनाव 2019 के लिए ग्वालियर सीट भी हाई प्रोफाइल हो गई है, भले ही भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशी देश की राजनीति के लिहाज से बड़ा नाम नहीं है लेकिन संघ की पसंद होने से सभी पार्टियों की निगाहें इस प्रत्याशी पर जम गई हैं। उधर भाजपा नेताओं ने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनान शुरु कर दिया है वहीं कांग्रेस में अभी निराशा है, वे अपनी पार्टी के उम्मीदवार के नाम के इंतजार में बैठे हैं।
विधानसभा चुनाव में ग्वालियर जिले की छह में से पांच सीटें जीतकर जोश में भरे कांग्रेस नेताओं के उत्साह में थोड़ी कमी दिखाई देने लगी है। लंबे मंथन और इंतजार के बाद कुछ दिन पहले भाजपा ने महापौर विवेक नारायण शेजवलकर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया लेकिन कांग्रेस नेताओं को अभी भी अपने उम्मीदवार का इंतजार है । ग्वालियर सीट पर 12 मई को मतदान होना है यानि प्रचार के लिए एक महीना भी शेष नहीं बचा है ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा नहीं होने से पार्टी नेताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रभाव वाली ग्वालियर सीट पर उनकी पसंद को तबज्जो दी जानी है लेकिन प्रदेश के दूसरे बड़े कांग्रेस नेता पिछली बार चुनाव लड़े अशोक सिंह को लड़ाना चाहते हैं। सिंधिया इस सीट के लिए जिला इकाई के माध्यम से अपनी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे के नाम का भी प्रस्ताव पारित करवा चुके हैं। इसके अलावा भी कई और नाम जैसे ग्रामीण जिला अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर, खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के बड़े भाई देवेंद्र तोमर, प्रदेश सचिव सुनील शर्मा भी टिकट की दौड़ में हैं। अब फैसला राहुल गांधी को करना है कि ग्वालियर सीट पर किसकी पसंद को तरजीह दी जाती है । लेकिन प्रत्याशी चयन में हो रही देरी से कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में मायूसी छा रही है ।
उधर भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। विवेक शेजवलकर के नाम की घोषणा के साथ ही पार्टी में बैठकों का दौर शुरु हो गया है। बीते सोमवार को पार्टी कार्यालय पर हुई बैठक में संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ, जिला अध्यक्ष देनेश शर्मा और प्रत्याशी महापौर विवेक शेजवलकर की मौजूदगी में रणनीति पर चर्चा हुई जिसमें तय हुआ कि विधानसभा वार लगातार बैठकें की जाएंगी । तय कार्यक्रम के अनुसार डबरा विधानसभा में पूर्व मंत्री डॉ नरोतत्म मिश्रा की मौजूदगी में बैठक हो चुकी, आज शहरी क्षेत्र की विधानसभाओं में बैठकें होंगी जिसमें विधानसभा में मिली हार को जीत में कैसे बदला जाए और भाजपा को अधिक से अधिक वोट कैसे मिलें ये तय होगा। बहरहाल भाजपा ने अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाना शुरु कर दिया है वहीं कांग्रेस को अपने प्रत्याशी का इंतजार है । देरी के चलते गुटों में बंटे कांग्रेस नेता अब कानाफूसी करने लगे हैं कि कहीं ये देरी किसी रणनीति का हिस्सा तो नहीं?