ग्वालियर। तत्कालीन शिवराज सरकार के एक बड़े फैसले को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वाल��यर बेंच ने पलटकर बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत अवैध कॉलोनियों को वैध किया जा रहा था। खास बात ये है कि इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह ने ग्वालियर से ही की थी।
दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एडवोकेट उमेश बोहरे ने एक याचिका दायर की गयी थी। जिसमें कहा गया था कि प्रदेश की शिवराज सरकार ने 2018 में अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कई सारी योजनाओं को नियमों के विपरीत लाभ लेने के कोशिश की है । सरकार द्वारा प्रदेश में बस चुकी अवैध कॉलोनियों को धारा 15 A के तहत वैध किया जा रहा है। जो नियम विरुद्ध है इस मामले में हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने इस मामले में प्रदेश सरकार के साथ-साथ मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व सहित पांच लोगों को इस मामले में पार्टी बनाया था।
अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे नंबर पेश किए जिन्हें नियम विरूद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर दिया गया । सभी तथ्य जानने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार की धारा-15A को खत्म कर दिया है। जिसके बाद अब फिर से अवैध से वैध हुई कॉलोनी फिर से अवैध हो गयी है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदारों अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292E के तहत कार्रवाई की जाये इसके लिए दोषी उस सर्किल के डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, आरआई, अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि 8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की कार्रवाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर से की थी। ग्वालियर नगर निगम सीमा की 690 अवैध कॉलोनियों में से पहले चरण में 63 अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। साथ ही मध्य प्रदेश की चार हजार से अधिक कॉलोनियां वैध करने का एलान किया था। लेकिन अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद यह कालोनियां फिर से अवैध हो गयी है।