भोपाल/ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट से लगातार चार बार चुनाव हार चुके पार्टी को समर्पित दिग्विजय सिंह समर्थक नेता अशोक सिंह को सरकार ने अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है। नियुक्ति की घोषणा सहकारिता मंत्री ने भोपाल में की। कमलनाथ सरकार की ये पहली राजनैतिक नियुक्ति है और ये ग्वालियर के खाते में आई है। राजनैतिक पंडित अशोक सिंह की नियुक्ति को ग्वालियर चम्बल में सिंधिया के कम होते कद के रूप में देख रहे हैं।
कमलनाथ सरकार ने प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह को सबसे पहले अपेक्स बैंक का प्रशासक बनाकर प्रदेश में नए सियासी समीकरणों के संकेत भी दिए । इस पद के लिए अजय सिंह राहुल भैया और अरुण यादव जैसे दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में थे लेकिन कमलनाथ ने अशोक सिंह पर भरोसा जताया । श्री सिंह की नियुक्ति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पंद्रह साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी है । पार्टी के तमाम दिग्गज अपने मनोनयन के लिए जोर लगा रहे थे लेकिन कमलनाथ ने अशोक सिंह की नियुक्ति कर भविष्य के लिए ग्वालियर अंचल में अशोक सिंह के बढ़ते कद का संकेत भी दे दिया । इस नियुक्ति की खास बात ये है कि अशोक सिंह दिग्विजय सिंह समर्थक नेता हैं । ज्योतिरादित्य खेमा उन्हें पसंद नहीं करता ।
गौरतलब है कि पिछले दिनों लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए भी आशिक सिंह को सिंधिया का विरोध झेलना पड़ा था। सिंधिया यहाँ से अपने किसी समर्थक को टिकट दिलाना चाहते थे लेकिन दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अरुण यादव, अजय सिंह सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की सिफारिश के बाद राहुल गांधी ने टिकट दिया था। लेकिन पिछली तीन बार की तरह इस बार भी अशोक सिंह ने भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दी और चुनाव हार गए। इससे पहले भी अशोक सिंह यशोधरा राजे सिंधिया और नरेन्द्र सिंह तोमर को कड़ी टक्कर दे चुके हैं।
आपको बता दें की विशुद्ध कांग्रेसी परिवार में पैदा हुए अशोक सिंह के दादा जी कक्का डोंगर सिंह सुप्रसिद्ध गांधीवादी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे । वे महात्मा गांधी के साथ वर्धा आश्रम में रहे और फिर ग्वालियर आकर आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े । वे लंबे समय तक कांग्रेस कार्यालय में ही रहे । अशोक सिंह के पिता स्व राजेन्द्र सिंह बहुत छोटी उम्र में ही सेवादल में शामिल हो गए । वे 1971 में विधायक बने और फिर श्यामाचरण शुक्ल मंत्रिमंडल में लोक निर्माण मंत्री बने । राजेन्द्र सिंह दिग्विजय समर्थक नेताओं में गिने जाते थे। ग्वालियर के नव निर्माण में उनका महती योगदान रहा । गांधी मार्केट का निर्माण,सिटी सेंटर बसाने की योजना उनकी ही थी । घर में कांग्रेस पार्टी के प्रति समर्पण देखते हुए अशोक सिंह भी बचपन से ही कांग्रेस को समर्पित हो गए। लेकिन उनका परिवार अंचल का पहला अकेला ऐसा परिवार रहा जो कांग्रेस में होते हुए भी महल विरोधी रहा। लेकिन जब अशोक सिंह ने राजनीति में कदम रखा तो ज्योतिरादित्य सिंधिया से समन्वय बनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। और वे आज भी अशोक सिंह को दिग्विजय खेमे का ही नेता माना जाता है। इस नियुक्ति को ग्वालियर चम्बल अंचल में सिंधिया के घटते कद के रूप में देखा जा रहा है।