भोपाल। प्रदेश में कर्जमाफी योजना से भाजपा सरकार द्वारा किसानों के नाम पर सालों से किया जा रहा बड़ा घोटाला उजागर हो गया है। एफआईआर और जांच की कार्रवाई भी शुरू हो गई है। कृषि मंत्री सचिन यादव ने दावा करते हुए कहा कि घोटाले की जांच के नतीजे सामने आएंगे तो लोगों को अंदाजा होगा कि पिछली सरकार ने किसानों के साथ कितना बड़ा धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि यह धारणा बिलकुल गलत है कि जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना चुनावी कदम है। इसके पीछे मुख्यमंत्री कमलनाथ का सोचा समझा आर्थिक गणित है। सरकार की नीयत साफ थी, इसीलिए 17वें दिन ही 47 लाख से ज्यादा किसानों ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर दिए। 22 फरवरी से किसानों के खाते में कर्ज माफी की रकम पहुंचना शुरू हो जाएगी। यादव ने कहा कि योजना के लिए जब प्रक्रिया तय की जा रही थी तब मुख्यमंत्री का साफ कहना था कि इसमें पारदर्शिता के साथ सरलता भी होनी चाहिए। किसान फिजूल की प्रक्रियाओं में न उलझें, फार्म बेहद सरल रहें। हरे रंग के आवेदन फार्म उन किसानों के लिए बनाए, जिनके बैंक खाते आधार से लिंक थे। सफेद रंग के फार्म उन किसानों के लिए रखे, जिनके आधार या तो बैंक खातों से लिंक नहीं थे या फिर उनके पास आधार नंबर ही नहीं थे। हालांकि, आधार न रखने वाले किसानों की संख्या बेहद कम है। गुलाबी रंग का फार्म ऐसे किसानों के लिए रखा, जिनके ऊपर चढ़े कर्ज की रकम ज्यादा बताई गई या फिर उन्होंने कर्ज ही नहीं लिया या पात्रता के बावजूद उनका नाम सूची में नहीं आया। मोटे तौर पर किसानों को योजना समझने में दिक्कत नहीं आई।