भोपाल| महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले बराबरी की भागीदारी देने की वकालत करने वाली भाजपा में संगठन चुनाव में महिला शक्ति को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया| हालही में भाजपा ने 900 मंडल अध्यक्षों का ऐलान किया है। जिसमें से सिर्फ एक महिला मंडल अध्यक्ष है जबकि 33 जिला अध्यक्षों का भी ऐलान हो चुका है और इनमें अभी तक एक भी महिला जिला अध्यक्ष नहीं बनी है। महिलाओं को पद देने में इतनी कंजूसी सवाल खड़े कर रही है, पार्टी के अंदर ही महिला नेता इसको लेकर नाराज बताई जा रही है|
दरअसल, भाजपा में अभी तक 1023 में से लगभग 900 मंडलों में अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इनमें से केवल एक पद महिला को मिल पाया है। वहीं प्रदेश के 57 संगठनात्मक जिलों में से 33 में हुए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में एक भी पद महिला नेत्रियों को नहीं मिला है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष का फैसला रायशुमारी के बाद किया गया है, और रायशुमारी में महिला नेता का नाम सामने नहीं आया| इसका मतलब जिला संगठनों में पुरुषों का दबदबा है और महिला का नाम आगे नहीं बढ़ाया गया| जबकि अधिकतर क्षेत्रों में कई महिला नेत्रियां बड़े स्तर पर राजनीति करती हैं और सक्रिय रहती हैं, लेकिन पार्टी से पद लेने में सफल नहीं हो पायी| संगठन के कुछ नेताओं का मानना था कि मंडल और जिला अध्यक्ष के पद पर रहने वाले को रात-दिन काम करना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को इस पद पर नहीं बैठाया जा सकता है।
भाजपा संगठन के इस कदम से पार्टी का महिला मोर्चा खासा नाराज है। बताया जा रहा है संगठन की अगली बैठक में महिला मोर्चा संगठन चुनाव में महिलाओं को दरकिनार किए जाने की बात को गंभीरता से उठा सकता है।