भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा में मंडल चुनाव जारी हैं। भाजपा बड़े पैमाने पर अपने संगठन में बदलाव कर रही है। लेकिन अब यह चुनाव सवालों के घेरे में आ गए हैं। 900 मंडल में से सिर्फ एक ही महिला को जगह मिली है। जिसे लेकर पार्टी विपक्ष के भी निशाने पर आ गई है। एक ओर केंद्र में पीएम मोदी महिलाओं को राजनीति में बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को देश के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपते हैं वहीं उनकी पार्टी प्रदेश में उनके द्वारा स्थापित किए आदर्श का पालन करने में पीछे दिख रही है। जिलाध्यक्ष के लिए कई महिलाओं ने दावा पेश किया था। लेकिन पार्टी ने किसी भी महिला दावेदार पर भरोसा नहीं जताया।
दरअसल, प्रदेश में अब तक भाजपा ने 900 से अधिक मंडल अध्यक्षों की घोषणा की है। इनमें से सिर्फ एक ही महिला को जगह दी गई है। जिस वजह से भाजपा कांग्रेस के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अब्बास हफ़ीज़ का कहना है कि भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। भाजपा की रीति नीति इससे साफ स्पष्ट होती है कि महिलाओं और महिला सशक्तिकरण को लेकर उनकी क्या सोच है। यह चलते आरएसएस के मुताबिक है। संघ और संघ से संबंधित संस्थाओं में महिलाओं को जगह नहीं दी जाती है न ही आजतक कोई महिला सरसंघचालक बनी है।
भाजपा से खफा हो सकता है महिला मोर्चा
भाजपा द्वारा संगठन में महिलाओं को जगह नहीं मिलने से भविष्य में महिला मोर्चे की नाराज़गी का सामना भी करना पड़ सकता है। इस प्रक्रिया के बीच बीजेपी की संवैधानिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं, जिसमें पार्टी में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण है। फिलहाल न ही प्रदेश अध्यक्ष महिला है और न ही किसी जिले की जिला अध्यक्ष। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी महिलाओं को मौका देगी। अब भविष्य में बीजेपी मुख्यालय में होने वाली बैठकों में महिला आरक्षण की गूंज भी सुनाई देगी। लेकिन आरक्षण मामले में महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष लता एलकर का कहना है कि पार्टी ने साफ कर दिया है कि मंडल चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं है इसलिए पद नहीं दिया गया है।