फिलहाल अधर में संविदाकर्मियों का भविष्य

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भोपाल| मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने चुनाव में रोजगार सहायक, अतिथि शिक्षक एवं समस्त संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और जिन संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है, उन्हे पुन: नौकरी में वापस रखने की घोषणा की थी| सरकार बनने के बाद से ही कर्मचारी संगठन सक्रिय है और अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं| वहीं सरकार ने फिलहाल साफ़ कर दिया है कि वित्तीय भार से जुड़ी एक भी मांगें पूरी नहीं होगी। इस बीच सरकार ने अतिथि शिक्षकों, रोजगार सहायकों एवं अन्य संविदा कर्मचारियों के संगठनों से प्राप्त स्थायीकरण व अन्य मांगों से संबंधित अभ्यावेदन जिनमें वित्तीय भार निहित नहीं है, उन पर निर्णय लेने के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया है।  सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा इसके आदेश जारी किये जा चुके हैं। यह समिति तीन माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी| 

कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय लेने के लिए गठित की गई समिति के अध्यक्ष सामान्य प्रशासन मंत्री  गोविंद सिंह होंगे। वहीं जनजातीय कल्याण मंत्री  ओंकार सिंह मरकाम, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, वित्त मंत्री  तरूण भनोट, प्रमुख सचिव वित्त विभाग को समिति का सदस्य बनाया गया है। अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग समिति के संयोजक होंगे। समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। जिससे एक बार फिर संविदाकर्मियों का भविष्य अधर में है, क्यूंकि तीन माह में लोकसभा चुनाव के लिए आचार सहिंता लग जायेगी और चुनाव भी आ जायेंगे| मामला अब लोकसभा चुनाव तक लटक जाएगा| 


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